नोएडा, 11 जुलाई (हि.स)। सेन्टर फ़ॉर साइंस एन्ड एनवायरमेंट (सीएसई) की एक स्टडी के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ने के कारण पर्यावरण में ओज़ोन गैस बनने लगी है। जो आमजन के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
सीएसई के एक स्टडी के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग़ाज़ियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव एवं दिल्ली की स्थिति चिंताजनक है, लेकिन इन सब में नोएडा एक ऐसा शहर है जहां ओज़ोन गैस लेयर नियंत्रण में है।
सीएसई की के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर (रिसर्च एवं एडवोकेसी) अनुमिता राय चौधरी ने बताया कि सीएसई की टीम प्रत्येक वर्ष यह आंकड़ा जुटाती है। इसी क्रम में एक अप्रैल से जून महीने तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विभिन्न शहरों में जाकर स्टडी की गई। जिसमें पाया गया कि गाजियाबाद शहर में मानक स्तर से 67 प्रतिशत अधिक ओजोन गैस मौजूद था, दिल्ली में 16 प्रतिशत, गुरुग्राम में 21 प्रतिशत एवं सबसे अधिक फरीदाबाद में 80 प्रतिशत। लेकिन नोएडा में ओजोन गैस केवल एक प्रतिशत मिली, जो खतरे से बाहर है।
अनुमिता ने बताया कि ओज़ोन गैस किसी जगह से निकलती नहीं है। जब हम कोई ईंधन जलाते हैं उस दौरान विभिन्न तरह की गैस निकलती हैं वो वातावरण में आकर ऑक्सीजन से रियेक्ट करके ओज़ोन गैस का निर्माण करती हैं। ओज़ोन गैस अस्थमा व सांस के मरीजों के लिए सबसे खतरनाक होता है।
सीएसई की के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर ने कहा कि गर्मी के महीने में वातावरण का तापमान अधिक होता है। इस दौरान रिएक्शन अधिक होता है। इस कारण ओज़ोन गैस गर्मी के महीने में अधिक बनती है।
ओज़ोन गैस की समस्या बिल्कुल नई
अनुमिता चौधरी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ओज़ोन गैस की समस्या पहले नहीं थी ये चार से पांच वर्षों में समस्या बनी है। अभी फरीदाबाद या अन्य क्षेत्रों के जो हालात हैं वह चिंताजनक हैं। हमारे लिए यह चेतावनी है। जल्द से जल्द हमें संभल जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में ओज़ोन गैस की निगरानी केवल दिल्ली के सभी जिलों में की जा रही है, अन्यथा पहले तो पता भी नहीं चलता था।
ओज़ोन लेयर से अलग होती है ओज़ोन गैस
अनुमिता ने बताया कि ओज़ोन लेयर और ओज़ोन गैस एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। ओज़ोन लेयर स्ट्रैटोस्फियर में मौजूद है, जो सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से हमारी रक्षा करती है, लेकिन ओज़ोन गैस हमारे नाक के नीचे बनती है और हमारे स्वशासन प्रकिया में बाधक होती है।
नोविप्रा ने एक साल में लगाए 4.64 लाख पेड़
नोएडा विकास प्राधिकरण के जीएम राजीव त्यागी ने बताया कि नोएडा को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए और नोएडा में रहने वालों की स्वास्थ्य के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। त्यागीने बताया कि नोएडा में एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच 04 लाख 64 हजार पेड़ लगाए गए हैं और 195 किलोमीटर की लंबाई में सड़कों को डस्ट फ्री जोन बनाया गया है। कुल 375 किलोमीटर लंबाई में डस्ट फ्री जोन बनाना प्रस्तावित है। इतना ही नहीं नोएडा में विभिन्न स्थानों पर कुल 66 वर्टिकल गार्डन बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह सब नोएडा की बेहतरी के लिए किया जा रहा है, आगे भी प्रयास जारी रहेगा।