ऑक्सीजन संकट का समाधान खोजा भारतीय सेना के इंजीनियरों ने ​

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अब तरल ​ऑक्सीजन ​को आसानी से मेडिकल ​​​ऑक्सीजन​ में बदला जा सकेगा  ​​दो तरल सिलेंडर वाले प्रोटोटाइप ​​दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में ​चालू किये गए 



नई दिल्ली, 20 मई (हि.स.)​​। ​​कोविड की दूसरी लहर के ​दौरान ​​ऑक्सीजन ​की ​बढ़ती हुई मांग ​को देखते हुए भारतीय सेना के ​​इंजीनियरों ने ​ऐसा ​समाधान खोजा​​ ​है जिससे ​ऑक्सीजन गैस को तरल ​​ऑक्सीजन में कुशलतापूर्वक रूपांतरित​ किया जा सकता है। ​चूंकि ​तरल ऑक्सीजन गैस ​को मेडिकल ​​ऑक्सीजन में बदलकर कोविड मरीजों के बेड्स तक पहुंचाना ​अस्पतालों के लिए चुनौती थी, इसलिए परीक्षण के दौरान क्रायोजेनिक टैंकों में ऑक्सीजन को तरल रूप में स्थानांतरित किया गया​​​​​​​​ अब तरल ऑक्सीजन ​को मेडिकल ​​ऑक्सीजन​ में बदलकर आसानी से अस्पतालों में कोविड मरीजों के ​बेड्स तक पहुंचाया जा सकेगा​​  
 
मेजर जनरल संजय रिहानी के नेतृत्व में भारतीय ​​सेना के इंजीनियरों की टीम ने इस चुनौती का समाधान खोजने की पहल की है। गैस सिलेंडरों के उपयोग के बिना ऑक्सीजन उपलब्ध ​करने के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया​ सेना के इंजीनियर​ ​सात दिनों से भी अधिक समय तक सीएसआईआर और डीआरडीओ के साथ सीधे​ संपर्क में रहे​​​ इस दौरान वैपोराइज़र्स, पीआरवी और तरल ऑक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग करते हुए समाधान खोजा गया​ ताकि कोविड रोगी के बिस्तर पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर तरल ऑक्सीजन ​को ऑक्सीजन गैस में रूपांतरित​​ कर​के पहुंचाई जा सके​ इसके लिए टीम ने 250 लीटर के स्वतः दबाव डाल सकने वाले तरल ऑक्सीजन सिलेंडर को विशेष रूप से डिजाइन किए गए वैपोराज़र ​को अपेक्षित लीक प्रूफ पाइपलाइन और प्रेशर वाल्व के साथ ​जोड़ा गया
 
​रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि 40 कोविड बिस्तरों ​के लिए दो से तीन दिन की अवधि तक ऑक्सीजन गैस प्रदान करने में सक्षम ​​दो तरल सिलेंडर वाले प्रोटोटाइप को ​​दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में ​चालू किया गया है। टीम ने अस्पतालों में रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मोबाइल संस्करण का भी परीक्षण किया है। यह प्रणाली ​सस्ती और उपयोग में सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडरों में उच्च गैस दबाव को दूर करती है​​ इसे संचालित करने के लिए बिजली की आपूर्ति की कोई आवश्यकता नहीं होती है​​। यह प्रणाली अनेक स्थानों पर लगाने के लिए शीघ्रतापूर्वक तैयार की जा सकती है।
कोविड की दूसरी लहर के ​दौरान ऑक्सीजन​​​ संकट के समय सेना के इंजीनियरों​ की यह खोज जटिल समस्याओं के सरल और व्यावहारिक समाधान लाने में अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण है। भारतीय सेना कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में राष्ट्र के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ी है।
 

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