ऑक्सीजन व औषधीय पौधे लगाने का क्रेज कोरोना काल में बढ़ा

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 हजारों घरों में लहलहाने लगे स्नेक, गिलोय, एलोवेरा और तुलसी के पौधे



झांसी, 16 जून (हि.स.)। कभी समय था जब लोग अपने घरों को सजाने के लिए विभिन्न प्रकार के फूलों और शोभा बढ़ाने वाले पौधे लगाते थे। विश्वव्यापी कोरोना कहर में ऑक्सीजन के लिए मची हाहाकार ने लोगों को वापस आयुर्वेदिक औषधियों और ऑक्सीजन पैदा करने वाले पौधों को घरों पर लगाने का क्रेज बढ़ा दिया है। अब आप किसी भी नर्सरी पर कुछ देर खड़े होकर यह सुन सकते हैं कि श्यामा तुलसी का पौधा हैं क्या ?
लाॅकडाउन के दौरान पेड़-पौधों की नर्सरी में काम करने वालों को तक छुट्टी नहीं रही। पूरे जनपद में करीब 25 बड़े स्तर की नर्सरियां हैं जहां पर हर प्रकार का पौधा मिल सकता है। कस्बों में भी छोटी दुकानें हो सकती हैं।कला नर्सरी के संचालक भगवान दास के पुत्र हरभजन बताते हैं कि कोरोना काल में उनकी नर्सरी से पौधे खरीदने वालों की संख्या बढ़ गई थी। ऑक्सीजन पैदा करने वाले और औषधि गुण वाले इन्डोर पौधों को लगाने का क्रेज लोगों में खासा देखने को मिला। इसकी मुख्य वजह ऑक्सीजन के लिए चारों ओर मची त्राहि-त्राहि थी।
पहले इन पौधों की थी ज्यादा मांग
हरभजन ने बताया कि उनके पिता पिछले 30 साल से नर्सरी का काम देख रहे हैं। कोरोना काल से पहले लोग अपने घरों पर लगाने के लिए हर प्रकार का गुलाब, मोगरा, चांदनी, पोर्चूलाॅक, गुड़हल, चम्पा, कोलियस, कोचिया, कैफनमेसिया, इटलीफर, करोटन, लेबिस पाम, नाग चम्पा, एम्पोनियम पाम, जेट प्लांट आदि के पौधे खरीदने आया करते थे। इसके साथ ही मनी प्लांट का पौधा बिक्री के लिहाज से सदाबहार हुआ करता था।
कोरोना काल में बढ़ी इन पौधों की मांग 
कोरोना काल में चारों ओर ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ने पर लोगों का रुझान ऑक्सीजन देने वाले व औषधीय गुणों की खान वाले पौधों की ओर बढ़ गया। इन पौधों में स्नेक, तुलसी, गिलोय, एलोवेरा, स्पाईडर, फर्न, एरिका पाम, उर्सीना, गोल्डन स्पाईडर, पीस लिली, सिंगोनियम व मनी प्लांट की मांग बहुत ज्यादा रही। हरभजन ने बताया कि वह प्रत्येक प्रजाति के करीब 5 से 10 पौधे प्रतिदिन बेचते थे। इसके अलावा लोगों ने ऑक्सीजन देने वाले नीम, पीपल व बरगद के भी खूब पौधे खरीदे जिन्हें अपने घरों के बाहर रोपने का कार्य किया।
जिले में प्रतिदिन हुई करीब 5 हजार पौधों की बिक्री
इस प्रकार यदि देखा जाए तो एक नर्सरी पर 150 से 200 पौधों की बिक्री हुई। जिले में ऐसी करीब 25 नर्सरी हैं। तो कुल मिलाकर प्रतिदिन करीब 5 हजार ऑक्सीजन व औषधीय पौधों की खरीद लोगों ने प्रतिदिन की। अब एक महीने का हिसाब भी लगा लें तो करीब डेढ़ लाख ऑक्सीजन व औषधीय पौधे लोगों ने अपने घरों में लगा डाले।

 


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