ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कोरोना के खिलाफ आइवरमेक्टिन दवा का परीक्षण कर रही है

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लंदन, 23 जून (हि.स.)। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की ओर से कहा गया है कि वह आइवरमेक्टिन दवा का कोरोना के इलाज को लेकर परीक्षण कर रही है।

लैबोरेट्री में की गई स्टडी से पता लगा है कि इस दवा को जल्दी देने से वायरल और हल्के कोरोना वाले कुछ रोगियों में लक्षणों की अवधि कम हो सकती है।

इससे पहले जनवरी में की गई ब्रिटिश स्टडी से पता लगा है कि एंटीबायोटिक्स एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन आमतौर पर प्रारंभिक चरण के कोरोना से लड़ने में अप्रभावी थे। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय और अमेरिकी नियामकों ने कोरोना रोगियों में आइवरमेक्टिन के उपयोग के खिलाफ सिफारिश की है।

परीक्षण के सह-प्रमुख अन्वेषक क्रिस बटलर ने कहा कि बड़े पैमाने के परीक्षण में आइवरमेक्टिन को शामिल करके, हम यह निर्धारित करने के लिए मजबूत साक्ष्य जुटाने की उम्मीद करते हैं कि कोरोना के खिलाफ उपचार कितना प्रभावी है और क्या इसके उपयोग से कोई नुकसान तो नहीं होगा।

इस परीक्षण के दायरे से उन लोगों को बाहर रखा गया है, जो गंभीर फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त हैं और जो खून पतला करने की दवा वारफैरीन का प्रय़ोग कर रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य़ संगठन ने कोरोना के इलाज में आइवरमेक्टिन दवा का इस्तेमाल करने का सख्त विरोध किया था। उसके बाद भारत में भी आइवरमेक्टिन दवा का उपयोग बंद कर दिया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना के इलाज के लिए संशोधित गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें कई दवाओं पर रोक लगा दी गई है।

 


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