महाराष्ट्र में हमारी सरकार 5 साल चलेगी, नहीं होंगे मध्यावधि चुनाव: शरद पवार

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उन्होंने कहा कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के नेता राज्य में सरकार बनाने के लिए शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं।



नागपुर, 15 नवम्बर (हि.स.)। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शुक्रवार को साफ कहा कि कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना गठबंधन की सरकार बनी तो 5 साल चलेगी और मध्यावधि चुनाव नहीं होंगे। किसानों से मिलने नागपुर पहुंचे शरद पवार ने पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने गुरुवार को कहा था कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना 6 महीने से ज्यादा सरकार नहीं चला सकतीं।
स्थानीय प्रेस क्लब में आयोजित ‘मीट-द-प्रेस’ कार्यक्रम में मीडिया कर्मियों से मुखातिब होते हुए पवार ने कहा कि फडणवीस के चुनाव प्रचार में कहे शब्द ‘मैं फिर आऊंगा, मैं फिर आऊंगा’ अब तक अब तक घूमते हैं। फडणवीस ज्योतिषी कब से हो गए..? ऐसा सवाल करते हुए पवार ने विश्वास जताया कि राज्य में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार बनेगी। साथ ही राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना से इन्कार करते हुए पवार ने कहा कि उनकी सरकार 5 साल पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के नेता राज्य में सरकार बनाने के लिए शनिवार को राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं।
जब उनसे यह पूछा गया कि शिवसेना हिन्दूवादी पार्टी है और राज्य में 5 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण का शिवसेना  ने हमेशा विरोध किया है तो उनके जवाब में कोई स्पष्टता नहीं दिखाई दी। पवार ने कहा कि मैं फिलहाल मौसम की मार झेल रहे किसानों की सुध लेने में व्यस्त हूं। मुंबई में कांग्रेस और एनसीपी की साझा बैठक में हुए फैसले की जानकारी देने से भी वे बचते नजर आये लेकिन यह कहा कि कांग्रेस और एनसीपी सेक्युलर पार्टियां हैं। किसी धर्म विशेष की राजनीति में हम विश्वास नहीं रखते। पवार ने कहा कि गठबंधन करते समय सभी पार्टियों की मूल विचारधारा को ध्यान में रखते हुए ही कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय होता है।
बर्बाद फसलों के पूरे पंचनामे किए जाएं
अपनी नागपुर यात्रा के बारे में पवार ने बताया कि बेमौसमी बारिश के चलते फसलें बर्बाद हुई हैं जिससे किसान बदहाल हो चुके हैं। हर फसल के नुकसान को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है। ज्वार की फसल अगर बर्बाद हुई तो 4 महीने में दोबारा नई फसल ले सकते हैं लेकिन अगर मौसंबी और संतरे के पेड़ जल जाएं तो किसान को 3 से 4 साल इंतजार करना पड़ सकता है। इसलिए प्रशासन द्वारा किए गए फसल के पंचनामे दोषपूर्ण हैं। प्रशासन ने केवल उन्हीं किसानों की फसलों पर फोकस किया है जिनकी 33 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद हुई है। यह प्रशासनिक मापदंड गलत है। इसमें बदलाव की जरूरत है। इस बारे में संसद के शीत सत्र में मुद्दा उठाया जाएगा। साथ ही किसानों को जल्द मुआवजा देने और कर्जमाफी जैसे फैसले लेने की जरूरत है। पवार ने बताया कि वह केन्द्रीय कृषि मंत्री और वित्तमंत्री से चर्चा कर राज्य के किसानों के लिए गुहार लगायेंगे।

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