वैश्विक मंच पर भारतीयता का प्रतिनिधित्व करते हैं प्रवासी: राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 09 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीयों को देश का चेहरा बताते हुए कहा कि वे वैश्विक मंच पर भारतीयता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह लोग आवश्यकता पड़ने पर भारत की सहायता के लिए आगे आते हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत की चिंताओं का समर्थन करते हैं और निवेश एवं सहायता के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में सहयोग देते हैं।
राष्ट्रपति कोविंद ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 16वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 1915 में इसी दिन सबसे महान प्रवासी भारतीय महात्मा गांधी भारत लौटे थे। उन्होंने हमारे सामाजिक सुधारों एवं स्वतंत्रता आंदोलन को बहुत व्यापक आधार दिया और अगले तीन दशकों के दौरान उन्होंने भारत को कई मूलभूत तरीकों से बदल दिया। इससे पहले, अपने दो दशकों के विदेश प्रवास के दौरान, बापू ने भारत के विकास और विकास के लिए अपनाए जाने वाले मूल सिद्धांतों की पहचान की थी।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए गांधीजी के आदर्शों को याद करने का एक अवसर है। गांधीजी का भारतीयता, अहिंसा, नैतिकता, सरलता और सतत विकास पर जोर हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
प्रवासी भारतीयों के प्रति पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जुड़ाव का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हम वाजपेयीजी के ऋणी हैं जिनकी दृष्टि ने हमारे प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों को फिर से सक्रिय किया है। प्रवासी भारतीय दिवस समारोह 2003 में शुरू हुआ जब वह प्रधानमंत्री थे। अटलजी की पहल मातृभूमि के साथ प्रवासी के जुड़ाव को मजबूत करने में काफी मददगार साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत के पास लगभग तीन करोड़ की सबसे बड़ी आबादी है, जो आज दुनिया के हर कोने में रहती है। भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आपने भारत की सांस्कृतिक शक्ति का प्रसार किया है और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है। भारत के प्रति आपका निरंतर भावनात्मक लगाव गर्व का विषय है। आप जिन देशों में रह रहे हैं उनके विकास के साथ अपने दिलों में भारतीयता को लेकर चल रहे हैं।
कोविड महामारी के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2020 कोविड-19 के कारण हुए वैश्विक संकट का वर्ष रहा है। महामारी से उत्पन्न भारी चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया देने में भारत सबसे आगे रहा है। हमने लगभग 150 देशों में दवाओं की आपूर्ति की, जिससे दुनिया भारत को ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में देखती है। दो कोविड टीके विकसित करने में हमारे वैज्ञानिकों और तकनीशियनों की हालिया सफलता आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है जो वैश्विक कल्याण की भावना से प्रेरित है।
राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आह्वान से कई वर्षों पहले एक आत्मनिर्भर भारत का बीज बोया गया था। आत्मनिर्भर भारत के हमारे दृष्टिकोण में अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और आपूर्ति श्रृंखला के पांच प्रमुख स्तंभ हैं। इन सभी कारकों का सफल एकीकरण तेजी से विकास में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के विचार का मतलब स्व-केंद्रित व्यवस्था की मांग करना या देश को अंदर की ओर मोड़ना नहीं है। यह आत्मनिर्भरता के लिए अग्रणी आत्मविश्वास के बारे में है। हम वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ाकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों को कम करने की दिशा में योगदान देना चाहते हैं। भारत का आत्मनिर्भर अभियान विश्व को अधिक न्यायपूर्ण और निष्पक्ष बनाएगा, जिससे अधिक से अधिक सहयोग एवं शांति को बढ़ावा मिले। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की वैश्विक आकांक्षाओं की प्राप्ति में हमारे प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका है।