अब आलू, मटर, लौकी का छिलका नहीं जाएगा बेकार, तैयार होगी जैविक खाद

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गो-मूत्र, गुड़ से घर-घर में मिट्टी के गमले में पूरी होगी होम कंपोस्टिंग की प्रक्रिया- स्वच्छ भारत मिशन ने ईजाद किया नया तरीका



मीरजापुर, 02 जनवरी (हि.स.)। कचरा निस्तारण को लेकर बढ़ती नई चुनौतियों से निपटने के लिए स्वच्छ भारत मिशन ने होम कंपोस्टिंग का नया तरीका ईजाद किया है। नई प्रकिया के तहत गो-मूत्र और गुड़ के मिश्रण से जैविक खाद बनाई जाएगी। होम कंपोस्टिंग नगर के सभी 38 वार्डों में स्वच्छ भारत मिशन के कर्मचारियों के सहयोग से चिन्हित कर एक-एक घरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आरंभ किया जाएगा।
स्वच्छ भारत मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक संजय सिंह ने बताया कि मिट्टी के गमले में सब्जी यानी आलू, लौकी, मटर आदि के सब्जी के छिलकों को संरक्षित किया जाएगा जिसे अभी तक बाहर इधर-उधर फेंक दिया जाता था। गमले में रखे छिलकों में गो-मूत्र और गुड़ का मिश्रण बनाकर दो बूंद डाल दिया जाएगा, ताकि छिलकों में बदबू न पैदा होने पाए। प्रक्रिया में क्रमश: तीनों गमलों का उपयोग किया जाएगा। इसके बाद लगभग 40 दिनों बाद गमले का छिलका जैविक खाद के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। इस जैविक खाद का उपयोग घर के गार्डेन, गमला आदि में लगे फूल-पत्तियों को हरा-भरा बनाने के लिए किया जा सकेगा।
मिट्टी का गमला अनिवार्य
होम कंपोस्टिंग के लिए मिट्टी का गमला होना अनिवार्य है। छिलका और गो-मूत्र आदि डालने के बाद संरक्षित गीले कचरे को रासायनिक परिवर्तन के लिए हवा का मिलना आवश्यक है। मिट्टी के गमले की बाहरी दीवार प्रकृति से हवा ग्रहण करने की क्षमता होती है।
गमले के नीचे रखें तस्तरी
स्वच्छ भारत मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक संजय सिंह ने बताया कि लगभग 20 दिन में एक गमला भर जाएगा। गमले के नीचे एक तस्तरी रखनी होगी। ताकि गो-मूत्र, गुड़ के मिश्रण से होने वाली रासयनिक प्रक्रिया में गिरने वाले पदार्थ जमीन पर गिर कर गंदा होने की बजाय तस्तरी में रहे जिसे बाद में बाहर फेंक दिया जाएगा।

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