नई दिल्ली, 12 सितम्बर (हि.स.)। केंद्र सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के 41 कारखानों का निगमीकरण करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) का गठन किया है। इससे पहले गुरुवार को एक कंसल्टेंसी एजेंसी की भी नियुक्ति की गई है जो सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ने की सलाह देगी।
केंद्र सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को एक या एक सौ प्रतिशत से अधिक सरकारी स्वामित्व वाली कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित करने का फैसला लिया है। इसी के मद्देनजर सरकार ने मंत्रियों का यह एक अधिकार प्राप्त समूह गठित किया है। इस ईजीओएम में रक्षा मंत्री के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को शामिल किया गया है। यह समूह ओएफबी को एकल रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू) या कई डीपीएसयू के रूप में परिवर्तित करने पर निर्णय करेगा। इसके अलावा मौजूदा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन की सुरक्षा, आर्थिक रूप से व्यवहार्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए इकाई/संस्थाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में भी फैसला लेगा।
आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के लिए एक लंबे समय के प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ते हुए रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को निजी क्षेत्र के सलाहकारों की नियुक्ति की घोषणा की है जो सरकार को आगे बढ़ने की सलाह देंगे। कंसल्टेंसी एजेंसी के रूप में खेतान एंड कंपनी लिमिटेड के साथ केपीएमजी सलाहकार सेवा प्राइवेट लिमिटेड (लीड कंसोर्टियम सदस्य) का चयन किया गया है। ओएफबी के 82 हजार कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध करके 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया है। आजादी के बाद से ओएफबी और उसके कारखाने पूरी तरह से रक्षा मंत्रालय के स्वामित्व में हैं और तीनों सेनाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए रक्षा उपकरणों का निर्माण करते हैं।
दरअसल सेना की इस शिकायत पर रक्षा मंत्रालय ने भी सहमति व्यक्त की है कि ओएफबी की उत्पादन लागत बहुत अधिक है क्योंकि इसका उत्पादन मूल्य प्रति कर्मचारी बहुत कम है। इसलिए सरकार ने आयुध निर्माणी बोर्ड के कारखानों का रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मॉडल पर निगमीकरण करने का फैसला लिया है ताकि उन पर भी लक्ष्य के मुताबिक उत्पादन का दबाव बढ़ सके। अभी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का स्वामित्व रक्षा मंत्रालय के पास नहीं है लेकिन वे हर साल मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके निर्धारित उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बाध्य रहते हैं।
आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 16 मई को घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि रक्षा उद्योग को मजबूत करने के उपायों के तहत ओएफबी का निगमीकरण किये जाने से आयुध आपूर्ति की स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार होगा। इसी तरह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 27 अगस्त को ओएफबी निगम बनाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हुए कहा था कि दशकों से आयुध कारखानों को सरकारी विभागों की तरह चलाया जाता था लेकिन अब हम इन कारखानों को निगम बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं।