नई दिल्ली, 22 सितम्बर (हि.स.)। राज्यसभा के आठ विपक्षी सांसदों का निलंबन रद्द किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी दलों ने राज्यसभा का वॉक आउट किया है। उनका कहना है कि जब तक सांसदों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता तथा कृषि विधेयकों को लेकर विपक्ष की मांग नहीं मानी जाती, वे सदन का बहिष्कार करेंगे।
विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम नेताओं ने राज्यसभा से वॉक-आउट करने के बाद संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने 8 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने नारे भी लगाए कि ‘चाय उनकी नाराजगी को शान्त नहीं कर सकती।’
आज मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक सांसदों का निलंबन वापस नहीं लिया जाता है और सरकार एमएसपी की गारंटी नहीं देती है, तब तक हम सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे।
आजाद ने कहा कि पिछले दो दिनों में जो कुछ सदन में हुआ, मुझे नहीं लगता कि उससे कोई भी खुश है। करोड़ों लोगों का जो प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें करोड़ों लोग देखते हैं। ऐसे में लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में आने का जो लक्ष्य है वो तो पूरा होना ही चाहिए। निलंबित सांसद केके नागेश ने कहा कि जब एक सांसद किसी मुद्दे पर विभाजन के लिए में आवाज उठाता है तो सदन की कुर्सी पर बैठे पदाधिकारी का कर्तव्य होता है कि वो इस पर ध्यान दें। लेकिन उस वक्त कुर्सी पर बैठे उप सभापति ने विपक्ष की बातों को सिरे से नकारते हुए विधेयक को पारित करा दिया। ऐसे में विरोध के लिए उकसाने को लेकर जो भी हुआ, उसके पीछे का मुख्य कारण उप सभापति हरिवंश जी हैं। सो उनका एक दिन का उपवास कुछ खास फर्क नहीं डाल सकेगा।