नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (हि.स.)। बिहार चुनाव में वादों और नारों का शोर है, वोट के लिए हर पार्टी दांव पेंच लगा रही है। कोई नये-नये सपने दिखा रहा है तो कोई किसी के राज को बुरा सपना बता रहा है। इन सबके बीच बिहार में अगली सरकार किसकी बनेगी यह तो वोटों की गिनती के बाद 10 नवम्बर को ही पता चलेगा, लेकिन एक ओपिनियन पोल के मुताबिक बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनती दिख रही है। एबीपी-सी वोटर का ताजा सर्वे बता रहा है कि 243 सीटों वाले विधानसभा में एनडीए को 135-159 सीटें मिल सकती हैं तो विपक्षी गठबंधन के खाते में 77 से 98 सीटें जा सकती हैं। जेडीयू से अधिक सीटों पर लड़ रही लोक जनशक्ति पार्टी का जादू नहीं दिख रहा। उसे 1-5 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। इससे पहले किये गये तीन-तीन सर्वे में भी एनडीए की सरकार ही बनते दिखी थी।
इस नये सर्वे में एनडीए को 43 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है तो विपक्षी गठबंधन के खाते में 35 फीसदी वोट जा सकते हैं। लोक जनशक्ति पार्टी को 4 फीसदी तो अन्य के खातों में 18 प्रतिशत वोट जाते दिख रहे हैं। ताजा सर्वे में कुछ के जवाब चौंकाने वाले हैं। 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि चिराग की वजह से एनडीए को नुकसान होगा जबकि 40 प्रतिशत लोगों का कहना है कि नहीं। एबीपी-सी वोटर की ओर से बताया गया है कि एक से 23 अक्टूबर के बीच हुए इस ओपिनियन पोल के लिए 30 हजार 678 लोगों की राय ली गई है। बिहार विधानसभा चुनाव कुल तीन चरणों में होंगे। 28 अक्टूबर, 3 नवम्बर को और 7 नवम्बर को वोटिंग होगी तो 10 नवम्बर को आएंगे।
भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें
ओपिनियन पोल के मुताबिक इस चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होगी। भाजपा को 73 से 81 सीटें मिल सकती हैं जबकि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली पार्टी जेडीयू को 59 से 67 सीटें मिल सकती हैं। वीआईपी को 3-7 तो हम को 0-4 सीटें मिल सकती हैं। दूसरी तरफ महागठबंधन में आरजेडी को 56-64 सीटें मिल सकती हैं तो कांग्रेस 12-20 सीटों पर सिमट सकती है। लेफ्ट को 9-14 सीटें मिलती दिख रही हैं।
सीएम पद के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय नीतीश
ओपिनियन पोल में लोगों से यह सवाल भी पूछा गया था कि मुख्यमंत्री के रूप में उनकी पहली पसंद कौन है। 15 साल से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 30 प्रतिशत लोगों ने पहली पसंद बताया तो तेजस्वी यादव को 20 प्रतिशत लोग अगले सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। चिराग पासवान पर 14 फीसदी तो मौजूदा डिप्टी सीएम सुशील मोदी को सिर्फ 10 फीसदी लोग मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
नीतीश कुमार के 15 वर्ष लालू यादव के 15 साल पर भारी
बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान 15 साल बनाम 15 साल का मुद्दा पीरे जोर शोर से हावी है। नीतीश लालू यादव के 15 साल की विरासत को दोष दे रहे हैं तो तेजस्वी और बाकी विपक्ष नीतीश-भाजपा के 15 साल का हिसाब मांग रहा है। जनता की बात करें तो यहां मामला नीतीश कुमार के पक्ष में जाता नजर आ रहा है। 62 प्रतिशत जनता का मानना है कि नीतीश कुमार के 15 वर्ष लालू यादव के 15 साल पर भारी हैं। 38 प्रतिशत जनता का मानना है कि लालू-राबड़ी के 15 साल बेहतर थे।
60 फीसदी लोग नीतीश से नाराज
बिहार में नीतीश कुमार 15 सालों से शासन में हैं। अक्सर लंबे शासन के बाद सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ता है। ओपिनियन पोल में मुख्यमंत्री नीतीश से लोगों की नाराजगी को लेकर भी सवाल पूछा गया। इसके जवाब में जो आंकड़े आए हैं उससे नीतीश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 60 फीसदी लोगों ने कहा कि वे नीतीश कुमार से नाराज हैं और मुख्यमंत्री बदलना चाहते हैं। 26 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नीतीश से नाराज तो हैं लेकिन उन्हें फिर मौका देना चाहते हैं। 14 प्रतिशत लोग ना तो नाराज हैं और न ही नीतीश को बदलना चाहते हैं।
बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
ओपिनियन पोल में 52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। 11 फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार और 10 फीसदी लोगों ने सड़क-बिजली को सबसे बड़ा मुद्दा बताया तो 08 प्रतिशत लोगों के लिए शिक्षा सबसे अहम है।