लखनऊ, 20 अगस्त (हि.स.)। भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत करने के बाद अब कॉरपोरेट सेक्टर की दूसरी ट्रेन काशी महाकाल एक्सप्रेस के संचालन की तैयारी शुरू कर दी है। वाराणसी से लखनऊ होकर उज्जैन में महाकाल का दर्शन कराने वाली इस ट्रेन को दोबारा पटरी पर लाने के लिए आईआरसीटीसी एक सर्वे करा रहा है। इससे ट्रेन को एक और वैकल्पिक रूट मिल सकेगा।
लखनऊ से नई दिल्ली के बीच तेजस एक्सप्रेस का संचालन शुरू होने के बाद अब आईआरसीटीसी वाराणसी से लखनऊ होकर उज्जैन जाने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस को दोबारा चलाने की तैयारियों में जुट गया है। तेजस एक्सप्रेस के बाद काशी महाकाल एक्सप्रेस देश में कॉरपोरेट सेक्टर की दूसरी ट्रेन है। इस ट्रेन का उद्घाटन पिछले साल 17 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। काशी महाकाल एक्सप्रेस का नियमित रूप से संचालन उद्घाटन के तीन दिन बाद ही 20 फरवरी को शुरू हुआ था।
यह ट्रेन तीन ज्योतिर्लिंगों-ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ को जोड़ती है। ट्रेन शुरुआत से ही खासी लोकप्रिय रही है। इसके दो रुट बनाये गए थे। काशी महाकाल एक्सप्रेस (82403/82404) पहले सप्ताह में दो दिन वाराणसी-इंदौर वाया सुल्तानपुर-लखनऊ-कानपुर सेंट्रल होकर चलाई जाती थी। सप्ताह में एक दिन यह काशी महाकाल एक्सप्रेस (82401/82402) वाराणसी-इंदौर वाया जंघई-प्रयागराज -कानपुर सेंट्रल होकर चलाई जाती थी। फिलहाल काशी महाकाल एक्सप्रेस के एक और वैकल्पिक रूट के लिए सर्वे हो रहा है।
आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अजीत कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को बताया कि तेजस के बाद अब काशी महाकाल एक्सप्रेस ट्रेन को दोबारा शुरू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए डिमांड सर्वे और टूर पैकेज पर कार्य हो रहा है। उम्मीद है कि पिछले साल से रुकी यह ट्रेन जल्द पटरियों पर दौड़ेगी।
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के आवासों की होगी मरम्मत
पूर्वोत्तर रेलवे की लखनऊ मंडल के डीआरएम डॉ.मोनिका अग्निहोत्री ने वर्चुअल बैठक में कहा कि रेलवे के आवासों की मरम्मत के साथ अब जल व्यवस्था का सर्वे किया जाएगा। लखनऊ मंडल में खाली जमीनों पर से अनाधिकृत कब्जे हटाए जाएंगे। इससे रेलवे आवासों को बेहतर करके खाली जमीनों को उपयोगी बनाया जा सकेगा।
रेल पटरियों का रखरखाव करने वालों को सितम्बर तक मिलेंगे सेफ्टी शूज
उत्तर रेलवे प्रशासन रेल पटरियों (ट्रैक) का रखरखाव (मेंटेनर) करने वालों को सुरक्षा मानक वाले जूते (सेफ्टी शूज) उपलब्ध कराने की तैयारियां कर रहा हैं। रेलवे ट्रैक का रखरखाव करने वालों के पास अभी सेफ्टी शूज नहीं हैं।
नॉर्दर्न रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) के मंडल मंत्री आरके पाण्डेय ने बताया कि यात्रियों के सुरक्षित सफर में रेल पटरियों का रखरखाव करने वालों की अहम भूमिका होती है। रेल पटरियों की देखभाल करने वालों के पास अभी ड्यूटी के समय मानक वाले जूते तक उपलब्ध नही हैं। इसके चलते आये दिन ट्रैक रखरखाव करने वाले हादसे का शिकार हो रहे हैं। रेलवे बोर्ड ने वर्ष 2018 में सभी ट्रैक रखरखाव करने वालों को सेफ्टी शूज और ट्रेन आने से पहले अलर्ट करने वाले सेफ्टी उपकरण मुहैया कराने के आदेश दिए थे।
उन्होंने बताया कि एनआरएमयू ने लखनऊ आये उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल के सामने इस मुद्दे को उठाया था। महाप्रबंधक ने लखनऊ मंडल के अधिकारियों को सेफ्टी शूज की टेंडर प्रक्रिया शुरू कर सितम्बर के अंतिम सप्ताह तक हर हाल में सेफ्टी शूज उपलब्ध कराने का आदेश जारी कर दिया है।