रूस के नोवगोग्राड क्षेत्र में शुरू हुआ सैन्य अभ्यास जैपेड-2021

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रूसी सशस्त्र बलों के साथ आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन पर केंद्रित होगा अभ्यास

 पर्यवेक्षक के रूप में यूरेशियन और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक देश भाग लेंगे

 अभ्यास में भाग लेने वाले देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना है मुख्य मकसद



नई दिल्ली, 10 सितम्बर (हि.स.)। पारंपरिक युद्धक्षेत्र परिदृश्य में संयुक्त अभियान चलाने के लिए सैनिकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से रूस के निजनी में अभ्यास जैपेड-2021 शुरू हुआ। इस अभ्यास का उद्देश्य भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना और इस अभ्यास में भाग लेने वाले अन्य सभी देशों के साथ बेहतर समझ और सहयोग को बढ़ाना है।

इस अभ्यास का उद्घाटन समारोह गुरुवार को रूस के नोवगोग्राड क्षेत्र में निजनी के पास मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड में आयोजित किया गया। इस समारोह की शुरुआत रूसी सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुई। इसके बाद इस अभ्यास में भाग लेने वाली टुकड़ियों का मार्च पास्ट हुआ। इस अभ्यास में भाग लेने वाली टुकड़ियों को रूसी संघ के उप रक्षा मंत्री और थल सेनाध्यक्ष जनरल निकोले पंकोव ने संबोधित किया।

जैपेड-2021 रूसी सशस्त्र बलों के थिएटर स्तर के अभ्यासों में से एक है और यह मुख्य रूप से आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन पर केंद्रित होगा। भारतीय सेना की ओर से अभ्यास में भाग लेने के लिए नागा बटालियन का ऑल आर्म्स कंबाइंड टास्क फोर्स गया है। भारतीय दल को एक कठिन प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से रखा गया है जिसमें मशीनीकृत, हवाई और हेलीबोर्न, आतंकवाद का मुकाबला, मुकाबला कंडीशनिंग और फायरिंग सहित पारंपरिक संचालन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। नागा रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इन्फैंट्री रेजिमेंट है। यह भारतीय सेना की सबसे कम उम्र की रेजिमेंटों में से एक है।

इस रेजिमेंट में मुख्य रूप से पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड राज्य से युवकों को भर्ती किया जाता है। दरअसल 1957 में जब नागा हिल्स क्षेत्र उग्रवाद से उबल रहा था, तब नागा लोगों के एक सम्मेलन में नागालैंड के लिए राज्य का दर्जा और भारतीय रक्षा बलों में नागा लोगों के लिए एक अलग इकाई गठित करने की मांग उठी। नागालैंड को 1963 में राज्य का दर्जा मिला और उसके सात साल बाद नागा रेजिमेंट का गठन किया गया। नागा रेजिमेंट की पहली बटालियन की स्थापना 1 नवम्बर, 1970 को कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, रानीखेत (उत्तराखंड) में लेफ्टिनेंट कर्नल आरएन महाजन के नेतृत्व में हुई थी। दूसरी बटालियन की स्थापना 11 फरवरी 1985 को हल्द्वानी में हुई थी।

इस अभ्यास के हिस्से के रूप में आतंकवाद विरोधी और पारंपरिक अभियान से संबंधित महत्वपूर्ण व्याख्यान, कवायद और प्रदर्शन आयोजित किए जायेंगे। इस अभ्यास में भाग लेने वाले सभी देशों की सेनाएं भी विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अपने बहुमूल्य अनुभवों को साझा करेंगी और साथ ही संयुक्त अभियानों के लिए अपनी कवायदों और प्रक्रियाओं को परिष्कृत करेंगी।इस अभ्यास में पर्यवेक्षक के रूप में यूरेशियन और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक देश भाग लेंगे। इस अभ्यास का समापन 16 सितम्बर को रूसी सशस्त्र बलों के शक्ति प्रदर्शन के साथ होगा। इस अभ्यास में शामिल होने वाली टुकड़ियां विभिन्न खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेंगी।


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