लॉस एंजेल्स, 03 जुलाई (हि.स.)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और सऊदी अरब के शहज़ादे मुहम्मद बिन सलमान के वर्चस्व के कारण कच्चे तेल की क़ीमतें अब 60 से 65 डालर प्रति बैरल बने रहने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। मंगलवार को विएना में ओपेक देशों की बैठक हुई, जिसमें आशानुरूप सऊदी अरब, इराक़, संयुक्त अरब अमीरात के साथ ईरान ने सर्वसम्मति से अगले वर्ष मार्च 2020 तक 12 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल में कटौती जारी रखने का फ़ैसला लिया। कच्चे तेल में बारह लाख बैरल प्रति दिन की कटौती का फ़ैसला गत दिसंबर में लिया गया था, जिसे अगले नौ माह के लिए बढ़ाया गया है। इस कटौती में ग़ैर ओपेक देशों ने भी सहमति जताई है।
रूस ग़ैर ओपेक देश है लेकिन उसकी आपूर्ति तेल उत्पादक के क़रीब-क़रीब बराबर है। इस कटौती को जारी रखने का यह कारण बताया जा रहा है कि अमेरिका की शेल तेल की आपूर्ति पिछले दिनों लगातार बढ़ी है, जबकि ग़ैर ओपेक देशों की आपूर्ति में भी लगातार 21 लाख बैरल प्रतिदिन की आपूर्ति में वृद्धि हुई है। इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि विश्व में मंदी के मद्देनज़र कच्चे तेल की आपूर्ति में भी कदाचित कमी नहीं आई है। इस संदर्भ में मंगलवार शाम ब्रेंट क्रूड आयल में 4.01 प्रतिशत अर्थात् 2.61 डालर की गिरावट से 62.45 डालर प्रति बैरल की क़ीमत रही। इसके विपरीत यूएस वेस्ट इंटरमिडीएट डब्ल्यूटीआई 2.84 डालर की गिरावट से 56.25 डालर प्रति बैरल पर क़ीमतें दर्ज हो सकीं।
शिकागो स्थित पराइस फ़्यूचर ग्रुप के विश्लेषक फ़िल फ़्लीन ने टिप्पणी की है कि ओपेक में कुछेक तेल उत्पादक देशों को निराशा ज़रूर हुई लेकिन यह भी उतना ही सच है कि विश्व में कच्चे तेल की मांग में वृद्धि नहीं हो रही है।