कागज पर हुआ ओडीएफ का खेल, जमीनी हकीकत हैरान करने वाली

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स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 अक्टूबर 2019 यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक पूरे भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो कटिहार जिला प्रशासन ने दावा किया है कि जिले की 235 पंचायत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो गयी हैं।



कटिहार, 09 जून (हि.स.)। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 अक्टूबर 2019 यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक पूरे भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो कटिहार जिला प्रशासन ने दावा किया है कि जिले की 235 पंचायत खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त हो गयी हैं। रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र के अधिकांश वार्ड भी ओडीएफ घोषित किए जा चुके हैं।  राज्य सरकार ने शौचालय निर्माण अभियान को मुख्यमंत्री के सात निश्चय में शामिल किया है। यानी ‘शौचालय का निर्माण-घर का सम्मान ‘ निश्चय के तहत शौचालय निर्माण कराया गया है जबकि केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण को लेकर जोर शोर से मुहिम चलायी है। स्वच्छ भारत मिशन के ऑफिशियल वेबसाइट में कटिहार जिले के सभी घरों में शौचालय निर्माण कर लिए जाने का दावा किया है।  सात निश्चय योजना के तहत अप्रैल की स्टेट रैंकिंग रिपोर्ट के मुताबिक सभी पंचायतें ओडीएफ घोषित की जा चुकी हैं जबकि शौचालय निर्माण को लेकर जमीनी हकीकत इन रिपोर्टों से बिल्कुल अलग है। जिले के कुर्सेला, आजमनगर, डंडखोड़ा, हसनगंज, मनसाही व अमदाबाद प्रखंड सहित सभी 16 प्रखंडों में अबतक 50 से 75 प्रतिशत के बीच ही शौचालय का निर्माण हो पाया है।  इस संदर्भ में जब जनप्रतिनिधियों से बात कर जानना चाहा कि जब आपकी पंचायत के सभी घरों में शौचालय निर्माण का कार्य अभी पूरा हुआ ही नहीं तो सरकार कागज पर ओडीएफ (ओपन डिफेकेशन फ्री) कैसे घोषित हो गया ? जबाब में जनप्रतिनिधियों ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि शौचालय निर्माण से जुड़े सरकारी अधिकारियों ने वार्ड सदस्य पर दबाव व प्रलोभन देकर खुले में शौच से मुक्ति वाले फार्म पर हस्ताक्षर करवा लिया। कई पंचायतों में तो अधिकारियों ने यह कहते हुए हस्ताक्षर करने पर वार्ड मेम्बरों को मजबूर किया कि सरकार का हमलोगों के ऊपर बहुत ज्यादा प्रेशर है, अगर आप लोग हस्ताक्षर नहीं कीजिएगा तो हमलोगों की नौकरी चली जायेगी। कई मुखिया ने बताया कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले अधिकारियों ने जल्दबाजी में शौचालय निर्माण के मानक को ताक पर रखते हुए जिओटेग करवा कर पंचायत को ओडीएफ घोषित करवा दिया। अगर सरकारी अधिकारी ही जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर लापरवाही बरतने लगेंगे तो समाज और देश का भला कैसे हो पायेगा। अगर शौचालय निर्माण को लेकर निष्पक्ष जांच कराई जाए तो “खुले में शौच से मुक्त’ की घोषणा करने में शामिल कई अधिकारियों के साथ -साथ इस फार्म पर हस्ताक्षर करने वाले जनप्रतिनिधियों पर भी गाज गिर सकती है। उल्लेखनीय है कि गरीब, मजदूर, दलित व वंचित वर्गों को शौचालय निर्माण लिए सरकार ने 12,000 रुपया प्रोत्साहन राशि इस शर्त पर दे रही है कि पहले शौचालय का निर्माण कराया जायेगा तभी लाभुकों के खाते में राशि भेजी जायेगी।


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