डिमापुर, 26 मई (हि.स.) नगालैंड के मोन जिले में शनिवार को उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले की जिम्मेदारी एनएससीएन(खापलांग) के युंग आंग गुट ने ली है। फेसबुक के जरिए उग्रवादी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी स्वीकारी है।
ज्ञात हो कि एनएससीएन (के) के युंग आंग धड़ा की कमान म्यांमार के निवासियों के हाथों में है जबकि खापलांग के दूसके धड़े की कमान भारतीयों के हाथों में है। उग्रवादियों के हमले में असम रायफल के दो जवान शनिवार को शहीद हो गए थे जबकि तीन जवान स्थानीय अस्पताल में इलाजरत हैं। हमले के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में घेरबंदी कर तलाशी और तेज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश के विधायक समेत 11 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल ने म्यांमार, अरुणाचल और नगालैंड के इलाकों में अभियान शुरू किया था। इससे बौखलाकर उग्रवादियों ने सेना पर हमला किया। एनएससीएन (खापलांग) के युंगआंग धड़े ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि म्यांमार स्थित उसके कैंप पर म्यांमार सेना के द्वारा किए गए हमले के पीछे भारत सरकार का हाथ है। इसकी आशंका पहले से ही जताई जा रही थी।
असम रायफल के सूत्रों ने इस हमले की पुष्टि की है। जानकारी के अनुसार यह हमला मोन जिले के उखा और तोबू के बीच थान्याक इलाके में हुआ है। असम रायफल की 40वीं बटालियन का एक गश्ती दल इलाके से गुजर रहा था। पहाड़ी और जंगली इलाके में संदिग्ध उग्रवादियों ने घात लगाकर जवानों पर स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। जब तक जवान अलर्ट हो पाते तब तक दो जवान मौके पर ही शहीद हो गए जबकि तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों ने बताया है कि सुरक्षाबल व उग्रवादियों के बीच लगभग एक घंटे तक जमकर गोलीबारी हुई, जिसकी वजह से उग्रवादी सेना के हथियार नहीं ले जा पाए। बाद में उग्रवादी मौके से फरार हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस व केंद्रीय अर्धसैनिक बल व सेना के जवान मौके पर पहुंचकर इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया। साथ ही पूरे इलाके को घेर लिया है।
ज्ञात हो कि एनएससीएन (आईएम) व केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम है। उधर, म्यांमार में म्यांमार की सेना एनएससीएन (खापलांग) के विरुद्ध नवम्बर माह से ही अभियान चला रही है। इसके चलते एनएससीएन (खापलांग) समेत पूर्वोत्तर के सभी उग्रवादी संगठनों को भारी नुकसान हुआ है। पूर्वोत्तर के उग्रवादी यह मान रहे हैं कि म्यांमार में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई के पीछे भारत सरकार है।
ज्ञात हो कि एनएससीएन (के) के युंग आंग धड़ा की कमान म्यांमार के निवासियों के हाथों में है जबकि खापलांग के दूसके धड़े की कमान भारतीयों के हाथों में है। उग्रवादियों के हमले में असम रायफल के दो जवान शनिवार को शहीद हो गए थे जबकि तीन जवान स्थानीय अस्पताल में इलाजरत हैं। हमले के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने इलाके में घेरबंदी कर तलाशी और तेज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में उग्रवादियों ने अरुणाचल प्रदेश के विधायक समेत 11 लोगों की हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल ने म्यांमार, अरुणाचल और नगालैंड के इलाकों में अभियान शुरू किया था। इससे बौखलाकर उग्रवादियों ने सेना पर हमला किया। एनएससीएन (खापलांग) के युंगआंग धड़े ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि म्यांमार स्थित उसके कैंप पर म्यांमार सेना के द्वारा किए गए हमले के पीछे भारत सरकार का हाथ है। इसकी आशंका पहले से ही जताई जा रही थी।
असम रायफल के सूत्रों ने इस हमले की पुष्टि की है। जानकारी के अनुसार यह हमला मोन जिले के उखा और तोबू के बीच थान्याक इलाके में हुआ है। असम रायफल की 40वीं बटालियन का एक गश्ती दल इलाके से गुजर रहा था। पहाड़ी और जंगली इलाके में संदिग्ध उग्रवादियों ने घात लगाकर जवानों पर स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। जब तक जवान अलर्ट हो पाते तब तक दो जवान मौके पर ही शहीद हो गए जबकि तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों ने बताया है कि सुरक्षाबल व उग्रवादियों के बीच लगभग एक घंटे तक जमकर गोलीबारी हुई, जिसकी वजह से उग्रवादी सेना के हथियार नहीं ले जा पाए। बाद में उग्रवादी मौके से फरार हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस व केंद्रीय अर्धसैनिक बल व सेना के जवान मौके पर पहुंचकर इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया। साथ ही पूरे इलाके को घेर लिया है।
ज्ञात हो कि एनएससीएन (आईएम) व केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम है। उधर, म्यांमार में म्यांमार की सेना एनएससीएन (खापलांग) के विरुद्ध नवम्बर माह से ही अभियान चला रही है। इसके चलते एनएससीएन (खापलांग) समेत पूर्वोत्तर के सभी उग्रवादी संगठनों को भारी नुकसान हुआ है। पूर्वोत्तर के उग्रवादी यह मान रहे हैं कि म्यांमार में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई के पीछे भारत सरकार है।