नई दिल्ली, 20 नवम्बर (हि.स.)। गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में घोषणा की कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया पूरे देश में शुरू की जाएगी। इस प्रक्रिया में धर्म का भेदभाव किए बिना हर भारतीय नागरिक का नाम शामिल किया जाएगा।
प्रश्न काल के दौरान शाह ने एनआरसी के बारे में पूछे गए सवाल के उत्तर में कहा कि वर्ष 2015 में एनआरसी के बारे में जो राजपत्रीय घोषणा की गई थी, वह पूरे देश के लिए थी। असम में इस संबंध चलाई गई प्रक्रिया वह दूसरे कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सम्पन्न हुई थी। राष्ट्रीय स्तर पर जब एनआरसी प्रक्रिया शुरू होती तब उसमें असम को फिर से शामिल किया जाएगा।
गृहमंत्री ने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस प्रक्रिया से किसी भी धर्म के लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है। सभी लोगों को एनआरसी में शामिल करने की व्यवस्था है।
उन्होंने कहा कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए। दोनों अलग-अलग प्रक्रिया है। एनआरसी में ऐसा कोई प्रवाधान नहीं है कि किसी धर्म विशेष के लोगों का नाम रजिस्टर में शामिल नहीं किया जाएगा। वास्तव में बिना किसी भेदभाव के जो भी भारतीय नागरिक है, उसका नाम रजिस्टर में आएगा।
नागरिकता संशोधन विधेयक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन सदन के भंग होने के कारण वह निरस्त हो गया। अब इस संबंध में फिर विधेयक लाया जाएगा। विधेयक के प्रावधान के संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार का मत है कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण जो लोग बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता प्रदान की जाए। इनमें हिन्दू, बौद्ध, सिख जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थी शामिल हैं।
असम में एनआरसी प्रक्रिया के संबंध में उन्होंने कहा कि जिन लोगों का नाम सूची में नहीं आया है, वह ट्राईब्यूनल के सामने अपील कर सकते हैं। ट्राईब्यूनल में अपील करने के सम्बन्ध में कानूनी सहायता सहित आर्थिक मदद राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी।