श्रीनगर, 25 सितम्बर (हि.स.)। कश्मीर घाटी में सामान्य जनजीवन पटरी पर लौट रहा है। कुछ संवेदनशील इलाकों को छोड़कर शेष पूरी कश्मीर घाटी में दिन में कहीं कोई पाबंदी नहीं है। सार्वजनिक वाहनों को छोड़कर सभी प्रकार के नीजि वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। अलगाववादियों तथा आतंकियों की धमकियों के बावजूद दुकानदार सुबह शाम अपनी दुकानें खोल रहे हैं और लोग भी बिना किसी डर के खरीददारी कर रहे हैं। इस दौरान घाटी के सभी संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है ताकि शरारती तत्वों पर काबू पाया जा सके।
बुधवार को भी कश्मीर घाटी के ज्यादातर इलाकों में अब दिन में कोई पाबंदियां नहीं हैं। लोगों को कहीं भी आने-जाने की खुली छूट दी गई है। इस दौरान सुबह-शाम छोटी से लेकर बड़ी दुकानें खुल रही हैं और रेहड़ी-फड़ी वाले व जमीन पर सामान लगाकर बेचने वाले डटे हुए हैं। रोज़ाना की तरह सेब की मंडियां भी लग रही हैं। लोग भी अपने घरों से बाहर निकल अपनी जरूरत का खरीदते नजर आए। कार्यालयों में भी उपस्थिति सामान्य से अधिक ही देखी जा रही है। प्रशासन ने श्रीनगर समेत कुछ और कस्बों में मोबाइल सेवा बहाल करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में मोबाइल इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है। सभी संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने से पहले हुर्रियत और उससे जुड़े अलगाववादी संगठन अक्सर हड़ताली कलेंडर जारी कर लोगों को बंद और हड़ताल के लिए उकसाते थे लेकिन राज्य के पुनर्गठन के फैसले के बाद हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट के चेयरमैन सईद अली शाह गिलानी, उदारवादी गुट के मीरवाईज मौलवी उमर फारूक समेत सभी अलगाववादी नेता चुप्पी साधे हुए हैं। इतना ही 370 पर टुकड़े-टुकड़े करने की धमकी देने वाले सियासी दल भी अब वजूद बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं।