नोएडा, 08 मई (हि.स.)। गौतम बुद्ध नगर के जिला उद्योग प्रोत्साहन और उद्यमिता विकास केन्द्र (डीआईसी) के महाप्रबंधक अनिल कुमार सारे नियम कानून और वरिष्ठों के दिशा-निर्देश को ताक पर रखकर मनमानी पर उतारू हैं। राज्य के मुख्य सचिव का स्पष्ट निर्देश है कि बंद पड़े छोटे और मझोले उद्योगों को शुरू कराया जाए, उसके लिए दोबारा अनुमति की जरूरत नहीं, सिर्फ घोषणा (अन्डरटेकिंग) ही पर्याप्त है। लेकिन अनिल कुमार और उनके मातहत कर्मचारी किसी उद्योग को शुरू ही नहीं होने दे रहे हैं। कोई अगर काम शुरू भी कर रहा है तो जाकर बंद करा दे रहे हैं। दबी जुबान कारखाना मालिक कह रहे हैं कि ये सब वसूली करने के लिए किया जा रहा है।
निर्देश तो यह थे कि कारखाना चलाने के लिए केवल ऑनलाइन अंडरटेकिंग दे दी जाए और प्रशासन मेल के जरिए ही अनुमति दे देगा। जब एक-एक हफ्ते बाद भी लोगों को आवेदन का जवाब नहीं मिला तो लोग डीआईसी केन्द्र आने लगे। इस सोमवार से ही हालात यह हैं कि गौतम बुद्ध नगर के सूरजपुर में एसडीएम कार्यालय के सामने डीआईसी कार्यालय के बाहर औद्योगिक संस्थान चलाने वाले मालिकों और उनके प्रबंधकों दिन भर लाइन लगी रहती है, पर महाप्रबंधक दफ्तर का चैनल बंद किए अंदर बैठे रहते हैं और किसी से मिल न ही मिलते हैं और न ही किसी को जवाब देते हैं। वे फोन भी नहीं उठा रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार ने उनके नंबर पर कई बार कॉल की, फिर संदेश भी छोड़ा, पर कोई जवाब नहीं आया। यह विषय गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुभाष एलवाई के संज्ञान में भी लाया गया, पर अनिल कुमार के ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
राज्य सरकार के 5 मई को जारी शासनादेश संख्या 1003 में रेड जोन में खोले जाने वाली औद्योगिक इकाइयों का बहुत स्पष्ट उल्लेख है। इसी आधार पर जिला प्रशासन, गौतमबुद्ध नगर ने 6 मई को बहुत स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए, ताकि लगभग 50 दिन से बंद पड़े कारखाने खोले जा सकें। कुछ आर्थिक गतिविधियां चालूं हो सकें, लोगों को रोजगार मिले और मजूदरों का पलायन रुक जाए। केन्द्र सरकार द्वारा ग्रीन, रेड और ऑरेंज जोन में किन औद्योगिक इकाइयों को शुरू किया जा सकता है, उसके स्पष्ट निर्देश दिए हैं। इसी आशा में डीआईसी कार्यालय के बाहर खड़े एक कारखाना मालिक ने बताया कि वह हैंड सेनेटाइजर और थर्मल स्कैनर आदि बनाने का काम करता है। कोई भी उद्योग अकेले नहीं चलता, उसके साथ कुछ छोटी-छोटी इकाइयां और काम करती हैं और सब मिलकर एक उत्पाद बनाते हैं। पर देखा ये जा रहा है कि कभी डीआईसी का कर्मचारी या कभी पुलिस वाले आकर काम बंद करा दे रहे हैं और कह रहे हैं कि अनुमति दिखाओ। या फिर जितने आदमी काम पर हैं, उस हिसाब से पैसे लेकर काम चलने देते हैं।