रायपुर/बीजापुर, 04 अप्रैल (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच शनिवार को हुई मुठभेड़ में अब तक 23 जवानों के शहीद होने की जानकारी मिली है। मुठभेड़ में घायल 31 जवानों में से 14 की हालत गंभीर बनी हुई है। मुठभेड़ में कम से कम 09 नक्सली भी मारे गए हैं। अभी तक एक महिला नक्सली का शव बरामद किया गया है। इसी बीच सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह रायपुर पहुंचे और यहां इलाज करा रहे जवानों से मिले। सिंह ने इसके बाद राज्य के आला पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपना असम दौरा बीच में रद्द कर नई दिल्ली लौट आए। उन्होंने बीजापुर मुठभेड़ को लेकर अपने नई दिल्ली आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक की। समाचार लिखे जाने तक बैठक जारी थी।
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक कमल लोचन कश्यप ने मुठभेड़ में अब तक 23 शहीद जवानों के शव बरामद होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शहीद जवानों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 09, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 08 और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 06 जवानों का समावेश है। मुठभेड़ में 31 जवान घायल हुए हैं। इसमें गंभीर रूप से घायल सात जवानों को शनिवार शाम को ही रायपुर के लिए रेफर किया गया था, जबकि बीजापुर में इलाज करा रहे 24 घायल जवानों में से सात को हालत गंभीर होने के बाद रविवार दोपहर बाद रायपुर के लिए रेफर किया गया है। कश्यप ने बताया कि शहीदों के शव लेने के लिए 400 जवानों की तीन टुकड़ी आज सुबह मुठभेड़ स्थल की ओर रवाना की गई। उन्होंने बताया कि घटनास्थल जंगल एवं पहाड़ी इलाका है इसीलिए पूरा अंदेशा है कि नक्सलियों ने इन क्षेत्रों में कई जगह एंबुश लगा लगा रखा होगाI उन्होंने बताया कि मुठभेड़ के बाद शनिवार को एक महिला नक्सली का शव बरामद किया गया था। इस मुठभेड़ में कम से कम 09 नक्सली मारे गए हैं।
गृहमंत्री शाह बोले- हम यह लड़ाई जरूर जीतेंगे
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की घटना पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि नक्सलियों से लड़ते हुए शहीद हुए बहादुर सुरक्षाकर्मियों को नमन करता हूं। देश उनकी वीरता को कभी नहीं भूलेगा। मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है। हम शांति और प्रगति के इन दुश्मनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
गृहमंत्री शाह ने फोन कर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से वस्तुस्थिति की जानकारी ली। शाह ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से जो भी आवश्यक मदद होगी वो राज्य सरकार को दी जाएगी। बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को हुई क्षति दुखद है, लेकिन सुरक्षाबलों के हौसले बुलंद हैं और नक्सलियों के खिलाफ यह लड़ाई हम अवश्य जीतेंगे। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने केंद्रीय गृहमंत्री शाह को मुठभेड़ की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृहमंत्री शाह से कहा कि सुरक्षाबलों का मनोबल ऊंचा है और वे इस लड़ाई में नक्सलियों के खिलाफ जीत हासिल करेंगे। उन्होंने बताया कि शाह ने भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें नक्सलवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगी और इस लड़ाई में जीत भी हासिल करेंगी।
वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपना असम दौरा बीच में ही रद्द कर नई दिल्ली लौट आए। उन्होंने बीजापुर मुठभेड़ को लेकर अपने नई दिल्ली आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक की। समाचार लिखे जाने तक बैठक जारी थी। बैठक में गृह सचिव अजय भल्ला, आईबी के निदेशक अरविंद कुमार और सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
घायल जवानों से मिले सीआरपीएफ के डीजी
इसी बीच रायपुर पहुंचे सीआरपीएफ के महानिदेशक कुलदीप सिंह रायपुर ने अस्पताल में इलाज करा रहे घायल जवानों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने राज्य के आला पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों ने बताया कि बैठक के बाद वह घटनास्थल की ओर रवाना हो गए। कुलदीप सिंह के मुताबिक नक्सलियों ने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है।
विशेष पुलिस महानिदेशक (नक्सल ऑपरेशन) अशोक जुनेजा ने बताया कि बीजापुर जिले के तर्रेम क्षेत्र के सिलगेर के जंगलों में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन, बस्तर बटालियन, डीआरजी और एसटीएफ के जवानों का दल पिछले दो दिन से नक्सलियों के खिलाफ अभियान पर निकला हुआ है। शनिवार सुबह सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि जोनागुड़ा के पास नक्सलियों का जमावड़ा है। पहले भी यहां सैटेलाइट तस्वीरों में कुछ हलचल दिखाई दे रही थी। इसके बाद सुरक्षाबलों ने जंगलों में सर्चिंग ऑपरेशन शुरू किया। जोनागुड़ा का एक इलाका गुरिल्ला वार जोन के अंतर्गत आता है। इसमें गुरिल्ला वार अर्थात छिपकर हमले की रणनीति ही कारगर होती है। इस क्षेत्र में सुरक्षाबलों की टीम कभी भी एक साथ नहीं जाती बल्कि छोटी-छोटी टुकड़ियों में ही जाती है। लिहाजा सुरक्षाबलों की टुकड़ियां एक के बाद एक यहां पहुंचती रहीं। नक्सली पहले से घात लगाकर बैठ थे। सुरक्षाबलों का दस्ता जैसे ही इस जोन में पहुंचा, नक्सलियों ने उनको घेर लिया। नक्सली ऊपरी इलाकों में थे और सुरक्षाबलों की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे। इस कारण सुरक्षाबलों को ज्यादा नुकसान हुआ।
वारदात के पीछे नक्सली कमांडर हिड़मा का हाथ
सूत्रों के अनुसार इस वारदात को नक्सलियों के बटालियन नंबर एक का कमांडर हिड़मा की मौजूदगी में अंजाम दिया गया है। बस्तर संभाग में अब तक जितने भी बड़े नक्सली हमले हुए हैं, उन सभी के पीछे हिड़मा का ही हाथ माना जाता है। हिड़मा वर्ष 1990 में नक्सलियों के साथ जुड़ा, लेकिन कुछ ही वर्षों में यह नक्सली संगठनों का एक बड़ा नाम बन गया। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में 76 जवानों की मौत में हिड़मा की भूमिका थी। वर्ष 2013 में हुए झीरम हमले में भी हिड़मा की अहम भूमिका थी। इस हमले में कई बड़े कांग्रेसी नेताओं सहित 31 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2017 में बुरकापाल में हुए हमले में भी हिड़मा की अहम भूमिका बताई गई थी। इस हमले में 25 जवान शहीद हो गए थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक ड्रोन कैमरे में नक्सलियों के होने की बात पता चली थी। अंदाजा यह लगाया जा रहा था कि 200-250 नक्सली वहां मौजूद होंगे।