बठिंडा (पंजाब), 03 जनवरी (हि.स.)। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल को आज जिला बठिंडा-मानसा के चार गावों में किसानों ने घुसने नहीं दिया। दोनों जिला बठिंडा-मानसा हरसिमसरत कौर बादल के संसदीय क्षेत्र के गांव थे। हरसिमरत इन गावों में उन किसानों के घर शोक प्रकट करने के लिए जाना चाहती थी, जिन किसान परिवारों के सदस्य किसान आंदोलन में किसी न किसी रूप में मौत का शिकार हो गए थे। हरसिमरत के काफिले को किसानों ने घेरने की कोशिश भी की लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षित आगे निकाल दिया।
हरसिमरत कौर बादल का आज अपने क्षेत्र के सात उन गावों में जाने का कार्यक्रम था जहां के किसान, आंदोलन के दौरान किसी न किसी रूप में मौत का शिकार हो गए थे। हरसिमरत उन परिवारों से हमदर्दी के लिए जा रही थीं। वे अपने क्षेत्र के गांव भादडॉ, दोदडा और बोहा ही जा सकीं जबकि अन्य चार गावों गुरधि, बछुआना, धर्मपुरा और बरहे नहीं जा सकी।
गांव भादडॉ और दोदडामें भारतीय किसान यूनीयन एकता, उग्राहां, डकौंदा और कादिया संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ गांव के लोगों में भारी विरोध कर दिया जिसके चलते हरसिमरत को मजबूरीवश अपने कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा।
किसान कार्यकर्ताओं ने भारी नारेबाजी की और उनके काफिले को घेरने का प्रयास किया।
बुढलाढा के डीएसपी बलजिंदर सिंह पन्नू और उनकी पुलिस पार्टी हरसिमरत के काफिले के लिए सुरक्षित राह बनाकर उन्हें निकाला। जिन गावों में हरसिमरत जाकर मृतक परिवारों से मिल सकी, उनमें भी पुलिस के कड़े प्रबंध थे।
वहीं, हरसिमरत कौर बादल का कहना था यह विरोधियों की साजिश है। उन्होंने मुख्यमंत्री को निशाना बनाते हुए कहा कि उन्होंने तो कृषि अधिनियमों के खिलाफ अपना पद और एनडीए छोड़ दी जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की इन अधिनियमों पर सहमति थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने न तो कृषि अधिनियमों पर हस्ताक्षर किये और न ही उन्होंने इस पर सहमति दी थी।