पटना, 28 दिसम्बर (हि.स.)।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की कमान अपने सबसे करीबी रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी) को देने के बाद सोमवार को अचानक जदयू कार्यालय पहुंच पार्टी के बड़े नेताओं से एक-एक कर बात की।
सीएम नीतीश कुमार पार्टी कार्यालय पहुंच राष्ट्रीय कार्यकारिणी के चुनिंदा नेताओं से वन-टू-वन मिले और उनकी राय जानी। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के हाथों अपने सात में से 6 विधायक खोने के बाद नीतीश कुमार ने पश्चिम बंगाल चुनाव का इंतजार करने की जगह अभी ही भाजपा के साथ भविष्य को लेकर रायशुमारी की।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुछ नेताओं को सोमवार की बैठक के लिए रोक लिया गया था। तीसरे दिन इन नेताओं से नीतीश कुमार ने अलग-अलग बात की। सीधा जानना चाहा कि जदयू का स्टैंड आगे क्या होना चाहिए। बिहार को अलग रखकर देश की राजनीति आगे बढ़ानी चाहिए या अरुणाचल प्रदेश में अच्छा रिश्ता रखने के बावजूद धोखा मिलने पर भाजपा को कड़ी सीख दी जानी चाहिए। नीतीश इन सवालों के जवाब से अपनी आगे की रणनीति तय करना चाह रहे हैं और संभव है कि अब बहुत जल्द वह साफ कर देंगे कि अरुणाचल प्रदेश का बदला बिहार में लिया जाएगा या नहीं। सोमवार डेढ़ बजे नीतीश राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ जदयू कार्यालय से निकलते हुए भी यह जाहिर नहीं कर गए कि बिहार में कुछ बड़ा राजनीतिक बवंडर आने वाला है।
उल्लेखनीय है कि पहले दिन राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक और दूसरे दिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पूरे समय बैठक के बाद सोमवार को जदयू कार्यालय में कोई बड़ा कार्यक्रम पहले से निर्धारित नहीं था। लेकिन, रविवार शाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में आरसीपी की ताजपोशी कराने के साथ ही नीतीश ने अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के किए-धरे पर कष्ट का इजहार भी कर दिया। भाजपा के नेता आरसीपी को अध्यक्ष बनने पर बधाई देते हुए बिहार की राजग सरकार की और मजबूती की बात कर रहे थे, जबकि दूसरी तरफ जदयू के नए अध्यक्ष भाजपा को कड़े शब्दों में सीख दे रहे थे। यह भी बोल गए कि अब कोई इस तरह जदयू की पीठ में छुरा नहीं घोंप सकेगा।