जमुई, 17 दिसम्बर (हि.स.)। बिहार के जिस छोटे से जिले की पहचान अभी भी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के रूप में होती है, वहां के एक छोटे से गांव और मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी बेटी निशु पर्वतारोही के रूप में अपनी पहचान बना रही है। लद्दाख में एशिया के सबसे ऊंचे ट्रैकिंग पीक पर तिरंगा फहराकर अपनी पहचान बनाने वाली इस बेटी का चयन अब अफ्रीका और यूरोप के पर्वत पर चढ़ने के लिए हुआ है। निशु सिंह का सपना तो हालांकि विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करना है परन्तु पैसे की कमी अब उसके इस हौसले के बीच में आ रही है।
बचपन से ही है एथलीट बनने का सपना
जमुई जिले के बरहट थाना क्षेत्र के टेंगहरा गांव निवासी सेवानिवृत्त सीआरपीएफ जवान विपिन सिंह की दो बेटियों में छोटी बेटी निशु सिंह है। पर्वतारोहण के क्रम में उसने अपनी शुरुआत हिमाचल प्रदेश के सलोन में अवस्थित 7500 फीट ऊंची करोल टिब्बा की चढ़ाई से शुरू की, जिसके बाद उसने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। करोल टिब्बा की चढ़ाई के बाद उसने 9 हजार फीट ऊंची कालीका टिब्बा, लद्दाख में स्थित एशिया के सबसे ऊंचे 20187 फीट ऊंचे स्टॉक कांगड़ी तथा हिमाचल प्रदेश में अवस्थित दूसरे सबसे ऊंचे ट्रैकिंग पीक 1115 फीट ऊंचे खाटू पीक पर भी उसने तिरंगा फहराया।
इन प्रोजेक्ट्स पर कर रही हैं काम
निशु सिंह बताती है कि आने वाले दिनों में मैं अफ्रीका में स्थित 5895 मीटर ऊंचे माउंट किलिमंजारो तथा यूरोप में स्थित 5642 मीटर ऊंचा माउंट एलब्रस की पहाड़ी की चढ़ाई करना चाहती हूं। साथ ही मेरा लक्ष्य विश्व के सबसे ऊंचे 14131 मीटर ऊंची माउंट एवरेस्ट को फतह करना है। ऐसे में एक साधारण से परिवार में जन्मी निशु के आगे अपने लक्ष्य को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है। साधारण परिवार होने के कारण पैसों की कमी दूर करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है परन्तु उसके परिवार के हौसले कम नहीं हैं।
नेशनल लेवल पर करती हैं प्रतिनिधित्व
निशु ने बताया कि इसके बाद मैंने इंडियन एडवेंचर्स फाउंडेशन की सहायता से देश के अलग-अलग राज्य में स्थित पहाड़ों की चोटियों पर चढ़ाई शुरू कर दी, जिसके बाद मेरा यह सफर शुरू हो गया। नीशु बताती हैं कि बचपन से ही वह एथेलेटिक्स में काफी रुचि रखती हैं। मैंने छत्तीसगढ़ राज्य से नेशनल खेलों का प्रतिनिधित्व किया है। इसके अलावा राज्य स्तरीय और नेशनल प्रतियोगिता में 7 स्वर्ण पदक जीते हैं।
बैंक में गार्ड की नौकरी करते हैं पिता
निशु कहती हैं, केंद्रीय विद्यालय तथा छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अलग-अलग प्रतियोगिताओं में मैंने शॉट पुट और डिस्कस थ्रो का प्रतिनिधित्व किया है। नीशु सिंह मध्यमवर्गीय परिवार से हैं। उनके पिता केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में जवान थे, जो सेवानिवृत्त होने के बाद एक बैंक में गार्ड की नौकरी करते हैं। निशु बताती हैं कि उनके इस लक्ष्य और निर्णय को लेकर परिवार का हमेशा से सहयोग मिलता रहा है।
मां बोलीं- बेटी के सपनों के लिए जमीन भी कुर्बान
पिता जहां बेटी के हौसले पर गर्व महसूस करते हैं वही मां मुन्नी देवी कहती हैं कि अभी तक बेटी के इरादों का हमने समर्थन किया है और आने वाले समय में अगर पैसे की कमी इसके लक्ष्य के आड़े आती है तो हम कोई भी जतन कर उसकी इस परेशानी को दूर करने का प्रयास करेंगे, चाहे हमें अपनी जमीन ही क्यों न बेचनी पड़े।