निर्भया केस: डेथ वारंट जारी नहीं हुआ, अगली सुनवाई 7 जनवरी को
नई दिल्ली, 18 दिसम्बर (हि.स.)। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों को जल्द फांसी की सजा देने के मामले पर बुधवार को सुनवाई टाल दी। एडिशनल सेशंस जज सतीश अरोड़ा ने तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वे सभी दोषियों को आज ही एक हफ्ते का नोटिस जारी करें। एक हफ्ते में दोषी तय करें कि उन्हें आगे कौन सा विकल्प चुनना है। कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी की तारीख तय की है।
सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा कि दोषी मुकेश दया याचिका दायर नहीं करना चाहता है। इस मामले में एमिकस क्युरी वृंदा ग्रोवर ने मौत की सजा का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज अक्षय की पुनर्विचार याचिका देरी की वजह से खारिज नहीं की है। अभियोजन पक्ष के वकील राजीव मोहन ने कहा कि दोषियों को क्युरेटिव पिटीशन दाखिल करने का अधिकार न देकर आज ही डेथ वारंट जारी किया जाना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा कि दोषियों को क्युरेटिव पिटीशन दाखिल करने का अधिकार होता है। तब राजीव मोहन ने याकूब मेनन के केस का हवाला देते हुए कहा कि उसकी दो दया याचिकाएं लंबित होने के बावजूद डेथ वारंट जारी कर दिया गया था।
अभियोजन पक्ष का कहना है कि दोषियों को 14 दिनों का समय देकर डेथ वारंट जारी किया जा सकता है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि कानूनन रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद 7 दिन दया याचिका दायर करने के लिए मिलता है। जब कोर्ट ने पूछा कि क्या दया याचिका लंबित है तो राजीव मोहन ने कहा कि दोषी विनय की दया याचिका लंबित है। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी है तब जेल प्रशासन को दोषियों को नोटिस जारी करना चाहिए। तब कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने सभी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया। हर दोषी को वकील मिलना चाहिए। दोषी अक्षय़ के वकील एपी सिंह ने कहा कि जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं दिया जाना चाहिए।
सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर और राजीव मोहन के बीच गर्मागर्म बहस हुई । वृंदा ग्रोवर ने राजीव मोहन से कहा कि ऊंची आवाज में मत चिल्लाइए। तब अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि हम ऊंची आवाज में बात नहीं कर रहे हैं, हम दलील रख रहे हैं। वृंदा ग्रोवर ने नियमों का हवाला देते हुए आज सुनवाई टालने की मांग की। उसके बाद कोर्ट ने आज सुनवाई टालने का फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि हम पर्याप्त समय दे रहे हैं। आप सभी कानूनी विकल्प पर विचार कर लें। उसके बाद कोई समय नहीं मिलेगा।
पिछले 13 दिसम्बर को कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अक्षय की पुनर्विचार याचिका लंबित होने की वजह से सुनवाई टाल दी थी। पिछले 29 नवम्बर को कोर्ट ने चारो दोषियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि वो ये बताएं कि वो कोई नई अर्जी लगाना चाहते हैं या नहीं। कोर्ट ने चारों दोषियों से जवाब मांगा था। पिछले 28 नवम्बर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट पटियाला हाउस कोर्ट को सौंपी थी । तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि सभी दोषियों को नोटिस दिया गया है।
पिछले 25 नवम्बर को कोर्ट ने निर्भया के माता-पिता की अपने बेटी के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को जल्द फांसी की सजा देने की मांग वाली याचिका दूसरे जज के पास ट्रांसफर कर दी थी। ये याचिका एडिशनल सेशंस जज सतीश अरोड़ा की कोर्ट में ट्रांसफर की गई है। इस मामले की सुनवाई करने वाले जज के ट्रांसफर होने की वजह से इस याचिका पर सुनवाई टल रही थी।
पिछली 4 जून को कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को तलब किया था। कोर्ट ने जेल महानिदेशक के जरिए तिहाड़ जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी कर ये बताने को कहा था कि अभियुक्तों ने कौन-कौन कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है। कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था।
याचिका वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि निर्भया कांड के चारों गुनहगारों को फांसी देने की सजा पर तुरंत अमल किया जाए और उन्हें कानूनन मौत दी जाए । याचिका में कहा गया था कि निर्भया कांड के चारों दोषी मुकेश कुमार, पवन, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को सुनाई गई फांसी की सजा पर तुरंत अमल किया जाए और उन्हें कानूनन मौत दी जाए।