नई दिल्ली, 24 जुलाई (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि स्टील पिकलिंग यूनिट्स को दिल्ली के रिहायशी इलाकों में चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि स्टील पिकलिंग मास्टर प्लान 2021 की प्रतिबंधित सूची में आता है। एनजीटी ने ये आदेश स्टील पिकलिंग यूनिट्स को बंद करने के अपने फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और वजीरपुर इंडस्ट्रियल इस्टेट वेलफेयर सोसायटी के रिव्य़ू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए दी।
एनजीटी ने कहा कि इलाके में बड़ी मात्रा में खतरनाक कचरा पड़ा हुआ है, जिसे वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित नहीं किया गया। यह यमुना समेत पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। एनजीटी ने कहा कि किसी भी उद्योग को प्रदूषण फैलाने का अधिकार नहीं है।
एनजीटी ने एक कमेटी का गठन किया जो 27 जून, 2008 से अब तक स्टील पिकलिंग यूनिट्स द्वारा पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करेगा। इस कमेटी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और आईआईटी रुड़की के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एनजीटी ने इस कमेटी को तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि पिछले जनवरी और फरवरी में निरीक्षण करने पर पाया गया कि वजीरपुर इलाका काफी प्रदूषित है। यहां किसी भी तरह के प्रदूषण को फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
नौ फरवरी को एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या दिल्ली औद्योगिकीकरण को झेल पाएगी। एनजीटी ने कहा था कि दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। एनजीटी ने कहा था कि दिल्ली में पहले से उद्योगों से निकलने वाला कचरा बड़े पैमाने पर पड़ा हुआ है। उसे निपटारा करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अगर स्टील पिकलिंग उद्योगों को चलाने की अनुमति दी जाती है तो इससे निकलने वाले जहरीले रसायन और कचरे का निस्तारण कैसे हो, इसका उपाय ढूंढ़ना जरूरी है।
एनजीटी ने पूछा था कि क्या सरकार के किसी भी महकमे ने इस मसले पर कोई अध्ययन किया है कि पर्यावरण पर इसका क्या दुष्प्रभाव होगा।एनजीटी ने इस बात को नोट किया था कि स्टील पिकलिंग उद्योगों से निकलने वाले 7 हजार टन हानिकारक मलबा अशोक विहार के रिहायशी इलाके में पड़ा हुआ है। इस मलबे से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि इन उद्योगों में कॉमन एफ्ल्युएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) और एफ्ल्युएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) स्थापित किए गए हैं इसलिए इन यूनिट्स के बारे में ये नहीं कहा जा सकता है कि वे प्रदूषण फैला रही हैं। दिल्ली सरकार ने कहा कि उसने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि पिकलिंग स्टील की यूनिट्स को खतरनाक उद्योगों की श्रेणी से बाहर करे। 16 अक्टूबर, 2018 को एनजीटी ने स्टील पिकलिंग यूनिट्स के खिलाफ कार्रवाई न करने पर दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसी आदेश के खिलाफ दिल्ली सरकार ने रिव्यू पिटीशन दायर की थी।