गुवाहाटी, 30 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) द्वारा मौजूदा वर्ष के दौरान कई निवारक उपाय शुरु किए गए जिसके परिणामस्वरूप 140 से ज्यादा हाथियों की जान बचायी जा चुकी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष रेलवे कर्मियों के सतर्कता के चलते 165 से अधिक जंगली हाथियों की जान बचायी थी।
पूसीरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शुभानन चंदा ने बुधवार को बताया है कि 67 अधिसूचित हाथी गलियारे हैं, जो पूसीरे के पांच मंडलों (कटिहार -1, अलीपुरुद्वार -22, रंगिया -23, लामडिंग-16 और तिनसुकिया-5) के पांच संबंधित राज्यों के वन विभाग के साथ परामर्श से संयुक्त रूप से अधिसूचित किये गये। एसा पाया गया कि उन क्षेत्रों में रेलवे ट्रैक हाथी प्रायः पार कर जाते थे जो गलियारे के रूप में अधिसूचित नहीं थे।
अधिसूचित क्षेत्रों में रेलवे चालकों को नियंत्रित गति में ट्रेन चलाने का निर्देश दिया गया है, जिससे ट्रेन की ठोकर से मरनेवाले हाथियों की संख्या में काफी कमी आयी। लेकिन बिना अधिसूचितवाले हाथी गलियारों में हाथियों के ट्रैक पर आ जाने पर चालकों के लिए ट्रेन को नियंत्रित करना काफीं कठीन होता है।
अलीपुरद्वार मंडल और कुछ हद तक लमडिंग और रंगिया मंडल में हाथियों द्वारा रेलवे ट्रैक को पार करना काफी सामान्य है। उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, अलीपुरद्वार में वर्ष 2018 के दौरान हाथियों को ट्रेन की गति पर नियंत्रण कर बचाया गया। यह नियंत्रण चालक द्वारा तब किया गया जब रेलवे ट्रैक के नजदीक या इसके उपर से गुजर रहे थे। इस प्रकार के मामलों की संख्या वर्ष 2017 में अलीपुरद्वार मंडल में जव चालक द्वारा ट्रेन रोककर हाथियों की जान बचायी गयी 119 थी। जबकि यह वर्ष 2016 और 2015 में क्रमशः 145 और 118 थी।
उल्लेखनीय है कि, 28 अक्टूबर, 2019 को ट्रेन नं 75713 पैसेंजर के चालक ने जब अलीपुरद्वार मंडल के गुलमा और सिवोक स्टेशन के बीच ट्रैक के ऊपर हाथीयों की गतिविधि को देखा तब उन्होंने इमंर्जेंसी ब्रेक लगाया, जिससे हाथियों की जान बची। मौजूदा वर्ष में अब तक चालक द्वारा रेलवे ट्रैक को पार करने के लिए ट्रेन रोकने की 122 घटनाएं सामने आई हैं।
पूसीरे ने ट्रेन-हाथी की टक्कर रोकने के लिए विभिन्न पहल शुरु की है, जिसमें से कुछ हैं जेसे एलिफेंट जोन में अत्याधिक गति का पता लगाने के लिए लेजर स्पीड रडार का संस्थापन शामिल हैं। सभी ट्रेन चालकों को सभी स्थायी और अस्थायी गति प्रतिबंधों को मानने की सलाह दी गयी है, इसके लिए जोखिमवाले स्थानों के लेवल क्रॉसिंग गेटों में हनी बी साउंड का गुंजक लगाया गया है। रसोईयान के कर्मियों और यात्रियो का रेलवे ट्रैक के नजदीक खाद्या सामग्री / बचे हुए खाद्य पदार्थ नहीं फेंकने के लिए जागरुक किया जा रहा है, ताकि उससे प्रलोभित होकर ट्रैक के पास हाथी या कोई अन्य जानवर न आ सकें। चालकों को पूर्व चेतावनी के लिए सभी चिह्नित हाथी गलियारों में साइनेज लगाए गये हैं। रेलवे ट्रैक के दोनों ओर पेड़-पौधों को हटाया गयां हैं ताकि चालक आसानी से कोई चीज देख सकें।
अलीपुरद्वार मंडल में तत्काल सूचना की अदला-बदली के लिए वन विभाग के फ्रिकिंवेंसी के साथ 25 वाट वीएचएफ लगाया गया है। ये उपकरण राजा भातखोवा, कालचीनी और हासीमारा स्टेशनों में लगाये गये हैं। वन विभाग के कर्मी जो हाथियों की गतिविधियों हे बारे में पहले सूचना पाते ही वे अलीपुरद्वार मंडल के ट्रेन कंट्रोल ऑफिस को सूचित करते हैं, ताकि नजदीकी स्टेशन मास्टर द्वारा तत्काल ट्रेन चालकों को सूचित किया जा सके और वे सावधानी से ट्रेन चलाएं। इसके अलवा विभिन्न जोखिमवाले स्थानों पर रैंप, मार्ग, सुरंग, ऊपरीमार्ग और घेरों का निर्माण किया गया हैं और किया जा रहा है ताकि हाथियों को मरने से बचाया जा सके। रेलवे के द्वारा शुरू की इन पहलों से ट्रेन और हाथियों की टकराने की घटनाओं कमी आयी हैं।