नई दिल्ली, 24 जून (हिं.स)।भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद पाकिस्तान जम्मू व कश्मीर के हमारे अंदरूनी मामलों में दखल देने का हर संभव अवसर तलाशता रहता है। यही वजह है कि पाकिस्तान से सोमवार को प्रकाशित लगभग सभी समाचारपत्रों ने जम्मू व कश्मीर के शोपियां जिले में हुई मुठभेड़ को प्रमुखता से जगह दी है। नवाएवक्त, पाकिस्तान और दुनिया ने इसे जहां प्रथम पृष्ठ पर छापा है तो वहीं एक्सप्रेस न्यूज ने इसे अपने अंदर के अंतरराष्ट्रीय पन्ने पर मुख्य समाचार बनाया है। इन सभी अखबारों ने इसे अपने दोगलेपन का सबूत देते हुए इसे भारतीय फौज अथवा रियासती दहशतगर्दी के शीर्षक से प्रकाशित किया है।
इन अखबारों ने लिखा है कि तलाशी अभियान का ढोंग रचते हुए भारतीय फौज ने शोपियां के कीगाम और डारमडोरा इलाके की घेराबंदी की और चार कश्मीरी नौजवानों को शहीद कर दिया है। मुठभेड़ के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर इलाके में मोबाइल व इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी गई। नवाएवक्त ने इसी समाचार में आगे लिखा है कि भारतीय फौज ने कश्मीर की कठपुतली सरकार की पुलिस के साथ मिलकर एक और मुस्लिम नौजवान को पाकिस्तानी घुसपैठिया आतंकी करार देकर शहीद कर दिया। उसका नाम मोहम्मद लुकमान है और उसका सम्बंध जैशे मोहम्मद से बताया था।
इसके साथ ही धार्मिक आजादी से सम्बंधित अमेरिकी रिपोर्ट को भारत द्वारा खारिज किए जाने को भी पाकिस्तानी अखबारों ने अपना अहम समाचार बनाया है। नवाएवक्त और रोजनामा पाकिस्तान ने इसको अपने प्रथम पृष्ठ पर तो वहीं एक्सप्रेस न्यूज ने अपने देश-दुनिया के पृष्ठ पर जगह दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के बयान के हवाले से छपी इस खबर में लिखा है कि भारत में नागरिकों के अधिकारों को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। भारतीय संविधान सभी शहरियों विशेषकर अल्पसंख्यकों को बुनियादों अधिकारों की जमानत देता है। इसलिए यह रिपोर्ट भरोसेमंद नहीं है। भारतीय विदेश मंत्री ने भी रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि किसी भी देश को हमारे नागरिकों के बारे में ऐसी राय बनाने का हक नहीं है जहां उन्हें संवैधानिक संरक्षण हासिल है। काबिले जिक्र है कि इस रिपोर्ट में गोरक्षा के नाम पर मुस्लिमों और दलितों पर होने वाले हमलों और मॉब लिंचिंग की घटनाओं का खासतौर से जिक्र है।
नवाएवक्त ने ‘भारत में इमरान की लोकप्रियता में इजाफा, सिख भी पाकिस्तानी टीम का समर्थन करने लगे’ के शीर्षक से अपने प्रथम पृष्ठ पर एक खबर प्रकाशित की है। इसमें अखबार का दावा है कि भारत-पाक के दरमियान तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद पाकिस्तानी सरकार के फैसलों ने इमरान खान की लोकप्रियता बढ़ा दी है। इसके लिए अखबार ने करतारपुर कॉरिडोर का जिक्र करते हुए लिखा है कि पूर्व के क्रिकेट हीरो और मौजूदा प्रधानमंत्री अपने फैसलों से भारतीयों विशेषकर सिखों में काफी लोकप्रिय हो गए है। अखबार ने इसके लिए लार्ड्स में रविवार को पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के दरमियान खेले गए मैच के दौरान सिखों द्वारा पाक टीम के भारी समर्थन की दलील दी है।
रोजनामा दुनिया ने ‘भारतीय नौसेना का जहाज और 60 युद्धक विमान पाकिस्तानी पनडुब्बी को ढूंढने में नकाम’ के शीर्षक से एक खबर चलाई है। इसमें दावा किया गया है कि बालाकोट घटना के बाद थरथरी कांपती भारतीय नौसेना 21 दिनों तक पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस साद की तलाश में मारी मारी फिरती रही। आधुनिक रडार, नौसेना के दर्जनों जहाज और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी भी बेकार रही। इसमें दावा किया गया है कि हमेशा आग भड़काने वाला भारतीय मीडिया भी पाकिस्तानी नौसेना के युद्ध कौशला का प्रशंसक निकला।
उधर नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए ‘सेलेक्टेड’ शब्द के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाने को सभी अखबारों ने अपना प्रमुख समाचार बनाया है। इस मामले पर डिप्टी स्पीकर ने कहा कि हर सदस्य वोट लेकर आया है। इसलिए इस शब्द के इस्तेमाल को सदन का अपमान माना जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश करने पर अपनी रूलिंग लगा दी।
आईसीसी वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका पर पाकिस्तानी टीम की जीत, मैच के दौरान पाक सेना प्रमुख कमर बाजवा की लार्ड्स मैदान में मौजूदगी और ईरान पर अमेरिका की पाबंदियों को भी पाकिस्तानी अखबारो ने प्रमुखता से जगह दी है।