जम्मू, 06 अगस्त (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के नवनियुक्त उप-राज्यपाल व भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा गुरुवार को श्रीनगर पहुंच गए। हवाई अड्डे पर डीजीपी व जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इस मौके पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर का नया उपराज्यपाल बनाया गया है। बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू का इस्तीफा मंजूर कर लिया जिसके बाद मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया। जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन होने के बाद 31 अक्टूबर 2019 को मुर्मू ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल का पद संभाला था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाए जाने की पहली वर्षगांठ पर बुधवार देर शाम उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
साफ-सुथरी छवि के मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरवा गांव में हुआ। मनोज सिन्हा ने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की। इस दौरान हाई स्कूल की परीक्षा में यूपी बोर्ड में प्रदेश में सातवां स्थान प्राप्त किया। उच्च शिक्षा के तहत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद मनोज सिन्हा ने एमटेक की डिग्री भी हासिल की। लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले मनोज सिन्हा का रुझान छात्र जीवन से ही राजनीति की तरफ रहा। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी उन्होंने अपनी मिट्टी से लगाव नहीं छोड़ा। इसी व्यक्तित्व के चलते आज भी गांव का एक सामान्य व्यक्ति भी उनसे गले लगकर अपनी बात संजीदगी के साथ कर लेता है, यही मनोज सिन्हा की बड़ी खासियत है।
खेती-किसानी से जुड़े परिवार में जन्म लेने की वजह से मनोज सिन्हा का दिल हमेशा किसान और गांव के लिए धड़कता है। उनका लगाव पिछड़े गांवों की तरफ हमेशा से ही रहा है। उन्होंने अपनी सांसद निधि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल लोगों के विकास के लिए लगाया है। उन्हें राजनीति में एक ईमानदार नेता के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2005 में देश की एक लीडिंग मैगजीन टाइम्स पत्रिका ने उन्हें 1989-2004 के कार्यकाल का सबसे ईमानदार सांसद का खिताब दिया है।
सिन्हा ने गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से अपनी राजनीति शुरू की और वह तीन बार सांसद रहे। इस दौरान वर्ष 2014 में सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में रेल राज्य मंत्री के रूप में उनका गौरवशाली कार्यकाल रहा। इसके साथ ही उन्हें संचार मंत्रालय स्वतंत्र प्रभार का अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई थी। 2014 से 2019 तक के मंत्रित्वकाल की सबसे खास बात यह रही कि रेल राज्य मंत्री रहते हुए मनोज सिन्हा ने पूर्वी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूर्वी भारत में रेल का मजबूत नेटवर्क तैयार करते हुए आमूलचूल परिवर्तन किए। लोकसभा चुनाव 2019 में गाजीपुर लोकसभा सीट से ही तमाम विकास कार्य कराए जाने के बावजूद उन्हें सपा बसपा गठबंधन प्रत्याशी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वह अपने क्षेत्र में लगे रहे। अब केंद्र सरकार द्वारा नई जिम्मेदारी दिए जाने के बाद समूचे पूर्वांचल में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।