जीएसटी भुगतान में विलंब पर 1 सितंबर से कुल टैक्स देनदारी पर लगेगा ब्याज
नई दिल्ली, 26 अगस्त (हि.स.)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के भुगतान में विलंब की स्थिति में एक सितंबर से कुल टैक्स देनदारी पर ब्याज देना होगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ये अधिसूचित किया है कि एक सितंबर, 2020 से कुल कर देनदारी पर ब्याज लिया जाएगा। ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में उद्योग ने जीएसटी भुगतान में देरी पर करीब 46 हजार करोड़ रुपये के बकाया ब्याज की वसूली के निर्देश पर चिंता जताई थी। दरअसल ब्याज कुल देनदारी पर लगाया गया था।
गौरतलब है कि केंद्र और राज्य के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद ने मार्च में अपनी 39वीं बैठक में निर्णय लिया था कि एक जुलाई, 2017 से कुल कर देनदारी पर जीएसटी भुगतान में देरी के लिए ब्याज लिया जाएगा और इसके लिेए कानून को संशोधित किया जाएगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने 25 अगस्त को अधिसूचना जारी कर कहा है कि एक सितंबर, 2020 से कुल कर देनदारी पर ब्याज लिया जाएगा।
इस संबंध में फाइनेंशियल एक्सपर्ट अमित रंजन का कहना है कि ये अधिसूचना जीएसटी परिषद के फैसलों से अलग लग रही है, जिसमें करदाताओं को ये भरोसा दिया गया था कि उक्त लाभ एक जुलाई, 2017 से प्रभावी होंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसे में अन्यायपुर्ण और गैरकानूनी ब्याज की मांग के आधार पर करोबारी एक बार फिर कोर्ट का रुख कर सकते हैं।
हालांकि, सीबीआईसी ने जारी एक बयान में कहा है कि जीएसटी परिषद की 39वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार यह भरोसा दिया जाता है कि केंद्र और राज्य कर प्रशासन द्वारा बीती अवधि के लिए कोई वसूली नहीं की जाएगी। इससे जीएसटी परिषद के फैसले के अनुरूप करदाताओं को पूरी राहत सुनिश्चित होगी।
उल्लेखनीय है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट को सकल जीएसटी देनदारी से घटाने पर शुद्ध जीएसटी देनदारी का पता चलता है। ऐसे में सकल जीएसटी देनदारी पर ब्याज की गणना से कारोबारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। जीएसटी भुगतान में विलंब होने पर सरकार 18 फीसदी फीसदी की दर से ब्याज लेती है।