नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। नेपाल अपने विवादित नक्शे को विश्व बिरादरी में भेजने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल इस नए नक्शे को अंग्रेजी में अनुवाद किये जाने का काम चल रहा है, जिसके प्रकाशित होने के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र और गूगल को भेजा जाएगा। देश में ही बांटने के लिए इस नक्शे की नेपाली भाषा में करीब 25 हजार प्रतियां पहले ही प्रकाशित करवा ली गई हैं। नए नक्शे में भारत के लगभग 335 किलोमीटर के भू-भाग को नेपाल में दिखाया गया है। एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं।
पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ चीन सीमा विवाद के बीच नेपाल ने 20 मई को कैबिनेट में नया नक्शा पेश किया था, जिसे नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा ने भी 13 जून को मंजूरी दे दी थी। इसमें भारत के कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इसके विरोध में भारत ने नेपाल को एक राजनयिक पत्र सौंपकर नेपाल के नए नक्शे को एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करार दिया था। इसके जवाब में नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली का कहना है कि भारत ने नवम्बर, 2019 में अपने राजनीतिक मानचित्र के 8वें संस्करण में नेपाल के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा क्षेत्र को शामिल कर लिया था। तब नेपाल ने इसका विरोध किया था और वार्ता के लिए प्रस्ताव रखा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इस पर हमने अपने इलाके को अपने नक्शे में शामिल करके नया नक्शा प्रकाशित कर दिया।
नेपाली मापन विभाग के सूचना अधिकारी दामोदर ढकाल ने कहा कि नेपाल के नए नक्शे की 4000 कॉपी को अंग्रेजी में प्रकाशित करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। देश के भीतर बांटने के लिए नेपाली भाषा में पहले ही करीब 25000 प्रतियां पहले ही प्रकाशित कर ली गई हैं। नेपाली भूमि प्रबंधन विभाग की मंत्री पद्मा आर्यल ने कहा कि अंग्रेजी में प्रकाशन होने के बाद अगस्त के मध्य तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय को देश का संशोधित नक्शा सौपेंगे, जिसमें कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र और गूगल को देश का संशोधित नक्शा भेजा जाएगा।
खुफिया सूत्रों का कहना है कि नेपाल में चीन की राजदूत हाओ यांकी पिछले दिनों राजनीतिक मतभेदों से जूझ रही सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी को संभालने में काफी व्यस्त रहीं लेकिन उनकी अति राजनीतिक सक्रियता नेपाल में बहुत से लोगों को नागवार गुज़र रही है। नेपाल में चीनी राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने का काम पीएम ओली ने किया है। यानी भारत के कालापानी और लिपुलेख को अपने नक्शे में दर्शाने के पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति काम कर रही है।हाओ यांकी इससे पहले तीन साल पाकिस्तान में भी चीन की राजदूत रह चुकीं हैं। चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है।