काठमांडू, 09 जून (हि.स.)। नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल का एक दूसरे पर भरोसा कम होने की वजह से सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में सत्ता संषर्ष शुरू हो गया है।
एनसीपी सूत्रों के मुताबिक, विचारधारा, संगठन और सत्ता में साझेदारी ऐसे अहम मुद्दे हैं जिनकी वजह से दोनों नेताओं के बीच मतभेद गहरा गए हैं। हालांकि ये दोनों नेता समान जहाज के सह-चालक होने के रूप में अपनी छवि पेश करते हैं।
इस संबंध में एक वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि दोनों गुटों के नेता पार्टी पर अपनी पकड़ बनाने के लिए सक्रिय हैं। साथ ही पार्टी के भीतर बढ़ रहे मनमुटाव की वजह से सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन-माओवादी सेंटर के विलय में देरी हो रही है।“
उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल मई महीने में पार्टी के दोनों सह-अध्यक्षों ,ओली और दहल ने वादा किया था कि एक साल के भीतर पार्टी का एकीकरण हो जाएगा, लेकिन अब तक नहीं हो पाया है, क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण कार्य होना बाकी हैं जिनमें नियुक्ति प्रभारी एवं जिलों के प्रभारी , पोलित ब्यूरो का गठन, पार्टी के सदस्यों के बीच कार्य विभाजन और विभागों के प्रमुखों की नियुक्ति शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक, दहल का ओली पर भरोसा तब कम कम होने लगा जब प्रधानमंत्री ओली ने पार्टी के सबसे ताकतवर शाखा संगठन विभाग के प्रमुख पद के लिए गृह मंत्री नरामबहादुर थापा के नाम का प्रस्ताव किया। उधर , दहल ने इस पद के लिए बामदेव गौतम के नाम का प्रस्ताव किया था।
विदित हो कि थापा को दहल के कोटे में मंत्रिपरिषद में जगह मिली थी, लेकिन अब उनका झुकाव प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की ओर हो गया है। इसके अलावा पार्टी के दोनों गुटों में विचारधारा को लेकर भी मतभेद है और दोनों एक दूसरे की आलोचना भी करते रहे हैं।