उत्तरकाशी, 22 जून (हि.स.)। भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़े तनाव के बीच उत्तरकाशी से सटे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर मई और जून माह में दो से तीन बार सेटेलाइट फोन के सिग्नल मिले हैं। सूत्रों की मानें तो मई माह के अंतिम सप्ताह और जून माह के दूसरे सप्ताह में दो से तीन बार नेलांग वैली और सोनम घाटी से आगे सेटेलाइट फोन के सिग्नल मिले हैं। सिग्नल मिलने की सूचना खुफिया तंत्र ने सेना और आईटीबीपी के अधिकारियों को दी है। इसके साथ ही खुफिया तंत्र ने गृह मंत्रालय को भी इसकी रिपोर्ट भेज दी है। सेटेलाइट फोन के सिग्नल मिलने के बाद सेना और आईटीबीपी अलर्ट हो गई है।
चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से संवदेनशील रही है। इसमें से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह क्षेत्र जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 129 किलोमीटर दूर है। विषम भूगोल वाली नेलांग घाटी में सेना और आईटीबीपी के जवान सतर्क हैं। उत्तरकाशी से चीन अधिकृत तिब्बत की करीब 122 किमी लंबी सीमा जुड़ती है। चमोली से 88 किमी अंतरराष्ट्रीय सीमा जुड़ी हुई है। चमोली में विगत वर्षों में कई बार चीनी सीमा के घुसपैठ की खबरें सामने आई लेकिन अभी तक उत्तरकाशी से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी प्रकार की घुसपैठ की सूचना नहीं है। इसका एक मुख्य कारण सीमा से जुड़ी घाटियों की कठिन विषमताओं को भी माना जाता है।
सूत्रों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ी घाटियों में जिस सेटेलाइट फोन का सिग्नल ट्रेस किया गया है। वह भारत में प्रतिबंधित है। इससे पहले भी मार्च-अप्रैल माह में भी सीमा से सटी घाटियों में सेटेलाइट फोन के सिग्नल प्राप्त होने की सूचना मिली थी। सूचनाओं के बाद सीमा पर सेना और आईटीबीपी ने गश्त बढ़ा दी है। साथ ही खुफिया तंत्र भी पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। जो चीन की सीमा पर किसी भी गतिविधि पर पूरी नजर बनाए हुए है। लद्दाख में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद उत्तराखंड से सटी चीन सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमान और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लद्दाख में हालात पर उच्च स्तरीय बैठक के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी है।