भारत में पहली बार होगा आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल: एनसीआरटीसी

0

दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर का निर्माण कार्य प्रगति पर 



नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने बुधवार को कहा कि देश के पहले रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) के सेमी-हाई स्पीड दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ कॉरिडोर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इसमें आधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।
आरआरटीएस की कार्यान्वयन एजेंसी एनसीआरटीसी ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह रेल, एनसीआर के आसपास के शहरों गाजियाबाद, मेरठ, पानीपत, अलवर आदि को कुछ मिनटों की दूरी से दिल्ली से जोड़ देगी। एनसीआरटीसी के अनुसार, भारत के पहले 82 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए सिविल निर्माण कार्य चल रहा है और 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।
आरआरटीएस में कई अत्याधुनिक प्रणालियां होंगी जो भारत में पहली बार इस्तेमाल होंगी और उनमें से एक इसकी सिग्नलिंग प्रणाली। आरआरटीएस कॉरिडोर के परिचालन के लिए आधुनिक यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) स्तर-2 सिग्नलिंग सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। ऐसा पहली बार होगा की उच्च-गति परिवहन प्रणाली के लिए उपयोग किए जाने वाले आधुनिक ईटीसीएस सिग्नलिंग का इस्तेमाल भारत में होगा। ज्ञात हो की आरआरटीएस की डिजाइन गति 180 किमी प्रति घंटा है, जबकि आरआरटीएस की परिचालन गति 160 किमी प्रति घंटा होगी।
आरआरटीएस का सफर न केवल आरामदायक होगा बल्कि तेज़ और सुरक्षित भी होगा। आरआरटीएस में किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को कम करने के लिए ईटीसीएस सिग्नलिंग प्रणाली का इस्तेमाल होगा। इसमे रेडियो ब्लॉक सेंटर होगा जो ट्रेन के आवाजाही, ट्रेन की गति, दिशा और परिचालन निर्देशों की निगरानी करता है। ट्रेनों के टकराने से होनेवाले हादसो को खत्म करने और यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ईटीसीएस स्तर-2 सिस्टम मे वर्चुअल ब्लॉक का इस्तेमाल होगा जो यह सुनिश्चित करेगा की किसी भी एक ब्लॉक में एक समय पर एक ही ट्रेन हो।
ईटीसीएस में एटीओ का इस्तेमाल होगा जो ट्रेन के ट्रैक्शन सिस्टम को नियंत्रित कर ट्रेन को स्वतः चलने, रुकने, गति तेज़ करने आदि में सक्षम बनाता है। ईटीसीएस स्तर-2 सिग्नल भेजने, किसी भी प्रकार की घोषणा और ऑपरेशन कंट्रोल रूम से बातचीत, सीसीटीवी स्ट्रीमिंग और अन्य किसी भी संदेश को भेजने व प्राप्त करने के लिए आधुनिक एलटीई का उपयोग किया जाएगा।
आरआरटीएस में यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी गयी है। ट्रेन के दरवाजों के बीच फसने या गिरने जैसे हादसों को रोकने के लिए सभी आरआरटीएस स्टेशनों पर प्लेटफार्म स्क्रीन दरवाजें होंगे। इन्हें ईटीसीएस स्तर-2 सिग्नलिंग सिस्टम के साथ समन्वित किया जाएगा जिससे प्लेटफार्म स्क्रीन दरवाज़े और ट्रेन के दरवाज़े एक साथ खुलेंगे और बंद होंगे। ट्रेन इन दरवाजों के बंद होने पर ही चलेगी जिससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
आरआरटीएस के तीनों कॉरिडोर आपस में जुड़े होंगे| दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ, दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन पर मिलेंगे। यह ईटीसीएस स्तर-2 के उपयोग से ही संभव है। यात्री एक कॉरिडोर से दूसरे कॉरिडोर की यात्रा बिना ट्रेन बदले कर सकेंगे। ईटीसीएस 180 किमी प्रति घंटे जैसी उच्च गति पर भी कम समय अंतराल पर ट्रेन की आवाजाही की सुविधा देगा, जिससे यात्रियों के लिए प्रतीक्षा समय कम हो जाएगा। इसके अलावा यह किसी भी अवांछित घटना की संभावना को कम करता है और किसी भी मौसम में बिना रुकावट ट्रेन संचालन की सुविधा भी देता है।
एनसीआरटीसी दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के सिग्नलिंग और टेलीकॉम सिस्टम के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित कर चुका है। कई आधुनिक तकनीक जैसे सीसीटीवी, पीआईडीएस, पीएएस, एफ़ओटीएस, एसीआईडीएस, मास्टर क्लॉक, टेलीकॉम एससीएडीए, टेलीफोन, सीडीआरएस और ट्रेन टु ग्राउंड वायरलेस नेटवर्क जैसे टेलीकॉम सबसिस्टम भी इस पैकेज का हिस्सा हैं।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *