गाजियाबाद, 27 जून (हि.स.)। यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा और रेल विकास की गति ऐसे ही दौड़ती रही तो मेरठ से दिल्ली की दूरी केवल 60 से 70 मिनट ही रह जाएगी और उन्हें 5 से 10 मिनट के अंतराल पर रेल मिल जाएगी। जिससे दिल्ली से मेरठ के बीच आवागमन करने वाले यात्रियों को समय, धन की बचत तो होगी ही साथ ही उन्हें जाम के झाम से भी नहीं जूझना पड़ेगा।
जी हां बात कर रहे हैं हाई स्पीड ट्रेन की। जिसके प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य लगातार चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के संचालन का प्लान नेशनल कैपिटल रीज़न ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन (एनसीआरटीसी )ने तैयार के लिया है। इतना ही नहीं रैपिड रेल का सुहाना सफर मात्र दो रूपये प्रति किलो मीटर होगा है। 32हजार करोड़ रूपये की लागत के तैयार होने वाले इस प्रोजेक्ट का दिल्ली की सराय काले खां से मेरठ के बीच रुट की लम्बाई करीब 90 किलो मीटर की होगी और इस हाई स्पीड ट्रेन के गाजियाबाद में आठ स्टेशन होंगे।
एनसीआरटीसी के सीपी आरओ सुधीर कुमार ने एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान इस प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी मीडिया के समक्ष प्रस्तुत की। सराय काले खां से दुहाई के बीच पड़ने वाले स्टेशन पर हाई स्पीड ट्रेन मात्र पांच मिनट में जबकि गाजियाबाद में अन्य स्टेशन से मेरठ के बीच ट्रेन 10 मिनट में उपलब्ध रहेगी।
-2023में खुलेगा साहिबाबाद से दुहाई डिपो
सुधीर कुमार ने बताया कि सबसे पहले वर्ष 2023 में साहिबाबाद से दुहाई के बीच का डिपो खोलने का लक्ष्य रखा गया है। जबकि शेष कॉरिडोर 2026 तक पूर्ण हो जायेंगे और यात्रियों का सफर शुरू हो जायेगा। उन्होंने बताया कि साहिबाबाद से दुहाई के बीच रुट शुरू करने के लिए प्रोजेक्ट को पूरा होने का इंतज़ार नहीं किया जायेगा बल्कि 2023 में ही इसका संचालन शुरू कर दिया जायेगा।
-एक कॉरिडोर में जा सकेंगी ट्रेन
कुमार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में भारत में पहली बार यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस)का प्रयोग किया जायेगा। इससे एक कॉरिडोर की ट्रेन दूसरे कॉरिडोर में जा सकेंगी। सुधीर कुमार के मुताबिक कम्पूटराइज़्ड बेस्ड सिस्टम में ट्रेन दूसरे सिस्टम में नहीं जा सकती।
-चार के बजाय छह लेन का हो जायेगा मेरठ रोड
उन्होंने यह भी बताया कि मेरठ रोड अभी चार लेन का है लेकिन जब एनसीआरटीसी अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लेगा तो यह छह लेन का होगा।
-मेट्रो, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे होंगे एक दूसरे से लिंक
सुधीर ने बताया कि मेट्रो, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे एक दूसरे से लिंक होने ताकि यात्रियों को भटकना ना पड़े और कोई भी वाहन जरूरत के हिसाब से पकड़ सकें।