रायपुर 26 जून(हि.स.)। नक्सलियों ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों से नौकरी छोड़ने की अपील करते हुए राज्य सरकार पर आदिवासियों को क्रांतिकारी विचारधारा से भटकाने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा विगत कई सालों से आदिवासियों को क्रांतिकारी विचारों से भटका कर प्रति क्रांतिकारियों को तैयार किया जा रहा है।
बीते मंगलवार को भाकपा माओवादी की दक्षिण बस्तर डिवीजन कोन्टा एरिया कमेटी ने यह प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। प्रेस विज्ञप्ति में पुलिस बल, एसटीएफ, कोबरा बटालियन और सीआरपीएफ के जवानों को नौकरी छोड़ देने की बात कही गई है। उन्होंने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि ग्राम चिंतागुफा का निवासी कवासी सिंगा डीआरजी में रहकर 3 साल से काम कर रहा था। बाद में लीडरों से तंग आकर उसने वापस अपने घर में आकर साधारण जिंदगी जीने का फैसला किया और जन अदालत में 12 सौ जनता के सामने अपनी गलती स्वीकार करते हुए एक और मौका देने की भीख मांगा। नक्सलियों ने आरोप लगाया है कि कवासी,डीआरजी में रहते हुए आदिवासी युवा – युवतियों को सरकारी लालच देकर मुखबिर बनाता था। प्रेस विज्ञप्ति में ऐसे 12 लोगों का नाम जारी करते हुए पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाया गया है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सभी फोन से पी एल जी ए कमिटी, मिलिशिया सदस्यों की खबरें पुलिस तक पहुंचाते थे। विज्ञप्ति में इन्हें चेतावनी देते हुए आरोप लगाया गया है कि इनके दिये समाचार के आधार पर दो बार किए गए हमले में हमारे दो साथी शहीद हुए हैं।
नक्सली प्रेस विज्ञप्ति में जवानों से अपील की गई है कि वह पुलिस की नौकरी छोड़कर अपने बाल बच्चों के साथ कोई दूसरा जनसेवक नौकरी कर सकते हैं। उनसे यह भी कहा गया है कि उनके विकल्प के रूप में मजदूर, किसान सेवक मोर्चा के रूप में क्रांतिकारी जनता की सरकार उपस्थित है। उन्होंने मौजूदा व्यवस्था एवं सरकार पर आरोप लगाते हुए कहां है कि जवान एसपीओ और डीआरजी ना बने। खुद को जनता के स्वालंबन पर आधारित एवं असली विकास के लिए कोशिश करने वाला बताते हुए पुलिस के जवानों से अपील करते हुए नक्सली विज्ञप्ति में कहा गया है कि जवान बस्तर धरती मां को कब्जे में लेने वाले दुश्मन का साथ ना दे। उन्होंने ग्राम वेल पोच्चा निवासी मालवी सोमड़ा नामक एक आदिवासी का भी उल्लेख किया है और उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हुए आरोप लगाया कि उसी की वजह से संगठन के अट्ठारह संघम सदस्य गिरफ्तार हुए। प्रेस नोट में बताया गया है कि एक जन अदालत में इन दोनों को मौका दिया गया है।
पुलिस बलों पर दंडकारण्य की महिलाओं पर अत्याचार किए जाने का आरोप लगाते हुए पुलिस के जवानों से नौकरियां छोड़कर जल जंगल जमीन और इज्जत के लिए बस्तर माटी पुत्र बनने का आह्वान भी किया गया है।