नीतीश ने उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में केंद्र से मांगा अधिक सहयोग

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नीतीश ने कहा कि ‘‘वामपंथी उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति’’ के तहत केन्द्रीय गृह मंत्रालय सुरक्षा संबंधी कार्रवाई के साथ-साथ विकासोन्मुखी कार्यक्रमों का भी अनुश्रवण कर रहा है।



पटना, 26 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को दिल्ली में गृह मंत्रालय द्वारा वामपंथी उग्रवाद पर आयोजित बैठक में कुछ सुझाव और राज्य की आवश्यकताओं को केंद्र के सामने रखा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों के क्षमता संवर्द्धन और क्षेत्रीय विषमता दूर करने के लिए स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम प्रारंभ की थी। लेकिन ऐसा ज्ञात हुआ है कि इस योजना को केन्द्र 2019-20 तक ही चलाएगा। इस योजना के बंद हो जाने से प्रभावित जिलों में उग्रवाद नियंत्रण पर विशेष रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने मांग की कि केन्द्र इन योजनाओं को पहले की ही तरह जारी रखे।

उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियानों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा-से-ज्यादा प्रयोग आवश्यक है। अत्याधुनिक हथियार, ड्रोन, रोबोटिक यंत्र, संचार माध्यमों पर निगरानी आदि तकनीक न सिर्फ सुरक्षा बलों को सक्षम बनाती है, बल्कि उनकी जान पर संभावित खतरों को भी कम करती है, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल और भी बढ़ता है। इसके साथ-साथ प्रत्येक राज्य में हेलीकाप्टर की तैनाती अनिवार्य रूप से की जाए, जो न केवल सुरक्षा बलों की गतिशीलता को बढ़ायेगा बल्कि जरूरत पड़ने पर बचाव में मदद भी करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लंबे समय से गृह मंत्रालय से बिहार में हेलीकाप्टर तैनाती के लिए अनुरोध करते रहे हैं और फिर मांग की कि केंद्र बिहार में भी हेलीकाप्टर की स्थायी तैनाती करे।

नीतीश ने कहा कि ‘‘वामपंथी उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति’’ के तहत केन्द्रीय गृह मंत्रालय सुरक्षा संबंधी कार्रवाई के साथ-साथ विकासोन्मुखी कार्यक्रमों का भी अनुश्रवण कर रहा है। इन प्रभावित जिलों की  विशेष स्थिति के मद्देनजर अलग से विशेष पहल करने की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों के लिए चिन्ह्ति योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने और उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुँचाने के लिए अतिरिक्त निधि उपलब्ध कराई जाए तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एवं मापदंडों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाये।

उन्होंने कहा कि आधुनिक परिवेश में यह जरूरी है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएँ। केन्द्र द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है। समय के साथ अब इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है, किन्तु इसके विपरीत केन्द्र सरकार की नई नीति के तहत पुलिस आधुनिकीकरण योजना के योजना मद में कटौती कर दी गई है।

वर्ष 2000-2001 से 2014-2015 तक केन्द्र सरकार  बिहार राज्य को औसतन 40 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का अनुदान देती थी , लेकिन अब करीब 30 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष दिये जा रहे हैं। यह राशि अत्यन्त अपर्याप्त है, जिसे कई गुणा बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस योजना में बिहार के लिए केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 60:40 रखा गया है। बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90:10 किया जाना चाहिए।

हालांकि राज्य सरकार  नक्सल प्रभावित एवं दुर्गम क्षेत्रों में कई नये पुलिस थानों बना रही है , परन्तु अभी भी प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की आवश्यकता है। वर्तमान में बिहार  में 9.5 बटालियन केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल उपलब्ध कराया गया है जिसमें 90 प्रतिशत बलों की प्रतिनियुक्ति बिहार-झारखंड के सीमावर्ती जिलों में की गयी है। पूर्ववर्ती माह में 1 बटालियन 04 कम्पनी बिहार से अन्य राज्यों में भेजी जा चुकी है जिससे बिहार  में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या घट गयी है। साथ ही साथ गृह मंत्रालय द्वारा सी.आर.पी.एफ. की दो बटालियन जो अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं, को बिहार से वापस करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इन बलों के जाने से क्षेत्र में सुरक्षा अंतराल बनेंगे जिससे अभियान की गुणवत्ता प्रभावित होगी एवं असुरक्षा का वातावरण बन सकता है तथा उग्रवादियों का प्रभाव पुनः बढ़ सकता है। अतः इन दोनों बटालियनों को बिहार में बने रहने देने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 से राज्य में संचालित तीन काउंटर इन्सरजेंसी एंड एंटी टेररिस्ट स्कूल को केन्द्र ने  वर्ष 2015-2016 से निधि आवंटित करना बंद कर दिया  है। राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से तत्काल इनमें से दो स्कूलों को अगले पाँच वर्षों के लिए पुनः संचालित करने का निर्णय लिया है। एक ओर जहाँ प्रशिक्षण एवं क्षमता संवर्द्धन पर जोर दिया जा रहा है ,वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार प्रशिक्षण केन्द्रों को वित्तीय सहायता बंद कर चुकी है। ऐसे विरोधाभास से समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा। इसलिए  केन्द्र पूर्व की भांति इस योजना के अन्तर्गत निधि आवंटित करे।

इस अवसर पर उन्होंने ने केंद्र की अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षा बल पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के कोष से किए जाने की नीति की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया। आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है, परन्तु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है। इसलिए  अनुरोध होगा कि इन खर्चों का वहन केन्द्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए।

 


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