नई दिल्ली, 16 अगस्त (हि.स.)। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने को सरकार की उपलब्धियों में गिनाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का पांच महीने पुराना आदेश अब तक भारतीय नौसेना में नहीं लागू हो पाया है। सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है लेकिन नौसेना में स्थायी कमीशन पाने की हकदार महिला अधिकारियों को अभी भी सरकार से हरी झंडी मिलने का इन्तजार है।
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही सेनाओं में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी करते हुए कहा था कि महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। हाई कोर्ट का यह आदेश लागू नहीं किया गया बल्कि इस आदेश को 9 साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने का प्रयास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वो वास्तव में पुरुषों से ऊपर हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार की इस अपील का विरोध करते हुए भारतीय सेना की अधिकारी बबीता पूनिया ने हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी, 2020 को आदेश दिया कि भारतीय सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थाई कमीशन दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए चयन बोर्ड के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने की प्रक्रिया न शुरू होने पर 6 अगस्त, 2007 को नौसेना में भर्ती हुईं एसएससी जेएजी बैच की इकलौती महिला अफसर ने सुप्रीम कोर्ट में एक अलग से याचिका दायर की। इसमें उन्होंने नौसेना में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर भेदभाव का दावा करते हुए कहा कि हमारा केस भी बबीता पूनिया की तरह ही है, जिसमें शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को सेना में सभी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिए जाने का आदेश 17 फरवरी, 2020 को दिया है। इसलिए नौसेना में भी महिला अफसरों को समान मौके मिलने चाहिए लेकिन वरिष्ठता क्रम में आगे रहने के बाद भी पुरुष अधिकारी को तरजीह दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 17 मार्च, 2020 को नौसेना में भी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिए जाने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने फैसले में कहा कि महिलाओं में भी पुरुष अफसरों की तरह समुद्र में रहने की काबिलियत है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च, 2020 को आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर ही केंद्र को नौ सेना में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी करना चाहिए था। नेवी में परमानेंट कमीशन मिलना पुरुषों और महिलाओं का बराबर का हक है। जब नेवी में महिलाओं के प्रवेश पर से वैधानिक रोक हटाई जा चुकी है तब पुरुषों और महिलाओं में भेदभाव नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को शारीरिक क्षमता के मुताबिक परमानेंट कमीशन नहीं दिया जा सकता। इतना ही नहीं कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस रुख को ग़लत करार देते हुए कहा कि महिला अधिकारी उतनी ही क्षमता से नेवी में काम कर सकती हैं जितने कि पुरुष। इसके बावजूद अभी तक नेवी में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को नौसेना की छह महिला अफसरों को शार्ट सर्विस कमीशन के तहत कार्यमुक्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि 17 मार्च को हमने आदेश दिया था कि सेना में महिलाओं को कमांडिंग पदों पर स्थायी कमीशन दिया जाए। उस आदेश को लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था लेकिन उस आदेश पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। ऐसे में इन महिला अफसरों को कार्यमुक्त करने का आदेश गलत है। इन छह महिला अफसरों को नौसेना की सेवा से छह अगस्त को मुक्त किया जाना था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में आदेश को अमल में लाने की समय सीमा बढ़ाने के लिए याचिका दायर की है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में विफल रही है, इसलिए अंतरिम आदेश के तहत इन महिला अफसरों को कार्यमुक्त करने के आदेश पर रोक दी गई है।
क्या है परमानेंट कमीशन?
भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। इसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें सेनानिवृत्त कर दिया जाता है। 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं दी जाती है। सेनाओं में परमानेंट कमीशन मिलने के बाद कोई अधिकारी रिटायरमेंट तक सेना में काम कर सकता है और उसे पेंशन भी मिलती है। सेना में अधिकारियों की कमी पूरी करने के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन शुरू हुआ था। इसके तहत पुरुषों और महिलाओं दोनों की भर्ती की जाती है, जिन्हें 14 साल में रिटायर कर दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी नहीं मिलती। परमानेंट कमीशन के लिए केवल पुरुष अधिकारी ही आवेदन कर सकते हैं।