नई दिल्ली, 24 जून (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह केरल के कोच्चि और कर्नाटक के कारवार नेवल बेस के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को पहुंचे हैं। उन्होंने कारवार में नौसेना के महत्वाकांक्षी ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ के तहत किये जा रहे विकास कार्यों के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। उन्होंने कारवार में चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास और कोच्चि में स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) के निर्माण की प्रगति के बारे में भी समीक्षा की। इसके बाद रक्षा मंत्री ने नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ कारवार में ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ का हवाई सर्वेक्षण किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज सुबह कारवार नेवल बेस पहुंचे। वेस्टर्न नेवल कमांड के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार और रियर एडमिरल महेश सिंह ने उनका स्वागत किया। उन्होंने सीएनएस के साथ प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत चल रहे बुनियादी विकास कार्यों की समीक्षा की। इसके बाद उनके साथ ‘प्रोजेक्ट सीबर्ड’ का हवाई सर्वेक्षण किया। रक्षा मंत्री नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के साथ एक विशेष विमान से आज शाम 7.30 बजे कोच्चि के नौसेना वायु स्टेशन आईएनएस गरुड़ में पहुंचेंगे। रक्षा मंत्री अपने दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह 9.45 बजे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) जाकर आईएनएस विक्रांत के निर्माण की समीक्षा करेंगे। देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत का निर्माण इस समय तीसरे चरण में है।
रक्षा मंत्री का यह दो दिवसीय दौरा विमानवाहक पोत के समुद्री ट्रायल में देरी होने के कारण किया जा रहा है। पोत को इस साल के पहले छह महीनों में समुद्र में उतारकर उसका परीक्षण किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण इस परीक्षण को टाल दिया गया था। इससे पहले पिछले साल दिसंबर में सीएसएल की तरफ से किए बेसिन ट्रायल में विमानवाहक पोत पूरी तरह खरा उतरा था। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने तीन दिसम्बर 2019 को कहा था कि विक्रांत 2022 तक ही पूरी तरह कार्यशील हो पाएगा और इस पर मिग-29 के विमानों का बेड़ा तैनात होगा। इस दौरान राजनाथ सिंह दक्षिणी नौसेना कमान की विभिन्न प्रशिक्षण इकाइयों का दौरा करेंगे। अपनी दौरे के बाद केंद्रीय मंत्री शुक्रवार दोपहर तीन बजे दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
क्या है नौसेना का प्रोजेक्ट सी बर्ड
भारतीय नौसेना के लिए यह सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है जिसके तहत भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसेना बेस का निर्माण किया जाना है। 3 बिलियन डॉलर का यह प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना को पश्चिमी तट पर अपने सबसे बड़े नौसैनिक अड्डे और स्वेज नहर के पूर्व में सबसे बड़ा नौसैनिक आधार प्रदान करेगा। भारत के लिए सबसे बड़ी नौसैनिक बुनियादी ढांचा परियोजना में भारत के पश्चिमी तट पर कारवार में एक नौसैनिक अड्डे का निर्माण शामिल है। एक दशक तक चलने वाली परियोजना के दौरान अमेरिकी बहुराष्ट्रीय इंजीनियरिंग फर्म नए नेवल एयर स्टेशन के निर्माण सहित संपूर्ण कार्यों की योजना, डिजाइन, अनुबंध, निर्माण और स्वीकृति का प्रबंधन और देखरेख करेगी।
नए और विस्तारित नौसैनिक परिसर में कई प्रमुख युद्धपोतों और पनडुब्बियों का विशेष डॉकयार्ड बनना है। यहां मरम्मत और रखरखाव सुविधाओं के साथ जहाजों और पनडुब्बियों के लिए नई तकनीकी रूप से उन्नत सुरक्षा और संचार प्रणाली होगी। नौसेना वायु स्टेशन में एक से अधिक रनवे, हैंगर, आवास सहित आयुध प्रबंधन क्षेत्र, सेवाएं, कार्मिक सहायता अवसंरचना आदि होंगी। समुद्री तट के साथ आंशिक रूप से पहाड़ी इलाके में स्थित इस परियोजना में कई तकनीकी और पर्यावरणीय चुनौतियां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सुविधाओं का निर्माण पहाड़ी इलाके में करना होगा। अमेरिकन कंपनी पर्यावरण में कम से कम व्यवधान सुनिश्चित करते हुए इस कार्य को करने के लिए अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करेगी।