जीवन शैली में प्राकृतिक चिकित्सा को दी जानी चाहिए प्राथमिकता: डॉ. डवास
नई दिल्ली, 03 मई (हि.स.)। दिल्ली इंस्टिट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी के निदेशक डॉ. आरएस डवास ने रविवार को ‘जीवन शैली में प्राकृतिक चिकित्सा की भूमिका’ विषय पर फेसबुक के माध्यम से लोगों को परामर्श दिया। इस दौरान उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि अन्य पद्धतियों की तरह इसे अगले 50 वर्षों में विश्वभर में लोगों को अपनाना चाहिए।
इंटरनेशनल नैचुरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन (आईएनओ) और सूर्या फाउण्डेशन की ओर से सोशल मीडिया के फेसबुक ऐप के जरिए लाइव वार्ता में डॉ डवास ने बताया कि प्रकृति जिसमें हम रहते हैं। इसमें पांच तत्व- मिट्टी, पानी, धूप, हवा और आकाश। यही तत्व हमारे शरीर में भी हैं। डॉ. डवास ने कहा कि पांच तत्वों से हम प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में भी अपनाते हैं। जैसे मिट्टी यानी मड थैरेपी, पानी यानी हाईड्रो थैरेपी, धूप यानी क्रोमो थैरेपी, हवा यानी एयरो थैरेपी और आकाश यानी फास्टिंग थैरेपी।
मड थेरेपी के बारे में बताते हुए कहा कि मड थैरेपी जिससे ऐप डोमल मड पैक इलाज किया जाता है। इसमें एक 10 गुणा 12 इंच की ट्रे में करीब 12 घंटे तक पीली मिट्टी भिगोकर पेट में उसका लेप करें। उसके बाद एक कपड़ा लगाकर करीब 40 मिनट तक छेड़ देते हैं। इसके सूखे तौलिए से रगड़ देते हैं। लिवर को एक्टिवेट करती है। हाइड्रो थैरेपी की एक थैरेपी ‘एबडोमन केल्ड पैक’ को अपनाने के बारे में बताया कि सूती और ऊनी कपड़े ठंडा पानी में डुबोकर पेट नाभि के ऊपर लपेट लेते हैं। एक घंटे बाद खोल देते हैं। ऐसा करने के बाद घिस देते हैं। लिवर को एक्टिवेट करती है। चेहरे ग्लो करता है। गैस की दिक्कत दूर करता है। बाल झड़ना बंद हो जाता है। इसके अलावा अन्य तत्व सूर्या यानी क्रोमो थैरेपी- अलग-अलग रंगो से चिकित्सा किया जाता है। वहीं हवा यानी एयरो थैरेपी- तीन क्रिया है- पूरक सांस लेन, कुंबक सांस रोकना और रेचक सांस छोड़ना। इसमें जब हम सांस लेते हैं तो 11 लाख कोशिका अंदर आती हैं वहीं जब सांस रोकते हैं तो सात लाख कोशिका बची रहती है जबकि सांस छोड़ते वक्त वही कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं।
प्रकृति हम और हमारा स्वास्थय के बारे में बताया कि स्वास्थ रहने के लिए जिस देश में 6 रितु आती हैं। अन्य देशों में ऐसा नहीं है। हर रितु के अनुसार फल, अनाज, सब्जी का सेवन करना चाहिए। मौसम के हिसाब से ही आहार ग्रहण करना चाहिए। कुछ आहार हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं शरीर के सबसे ब्रेन में ट्रंसफर सेक्शन अखरोट की तरह होता है। दिमाग से संबंधित जो भी लक्षण हैं उसमें अखरोट का सेवन करें। इयसे चाय, लड्डू या शहद के साथ लें। आंख से संबंधित बीमारी में बादाम का उपयोग करना चाहिए। इसे लड्डू, शहद दूध आदि गले- हाइपर थायराइड में सिंघाड़े का सेवन करे। इसे कच्चा, आटा और उबाल कर खा सकते हैं। स्टमक- लौकी जैसा होता है। सब्जी या हलवा खाये। छोटी आंत- दोनों की लंबाई और शक्ल तोरोई जैसी होती है। अगर हमारी पाचन की क्रिया सुस्त है। तो तोरोई और ककड़ी का सेवन करें। इससे पाचन शक्ति मजबूत होगी। बड़ी आंत- एसेंडिग- डिसेंडिंग पार्ट जहां से अच्छा तत्व का अवशोषण होता है. अगर आप खाते हो पर शरीर में लगता नहीं है तो खीरा का प्रयोग करें। रायता से सफाई होगी। खून साफ होगा चेहरे में रौनक आय़ेगी। लंग्स दो होते हैं। शक्ल जव जैसे होते हैं। उसमें खांसी होती है। जव को पीस कर मित्री के साथ लें। फेफ़ड़े सही हो जाएंगे। क्योंकि इससे कार्बन जमा हो जाता है। सहतूत खा सकतें है। गूगर खा सकते हैं। ह्रदय-दिल- दाईं ओर होता।
मुठ्ठी के आकार- 10 सेंटी लंबा-4 सेंटी मी चौड़ा। 65 एमएल- 65 अन्य ऑर्गंस। 130 एमएल रक्त को पंप करता है। इसके लिए नारयिल का पानी पीना चाहिए। लौकी का पानीयानी कद्दू। दिल की मांसपेशियों दुरुस्त करने के लिए छोटी इलायची लें। दिल में छेद होने पर पका केला चीर कर बड़ी इलायती का पाउडर डाल कर दूछ से लें। लगातार 3 माह तक। शुगर पैदा करने वाली बीमारी (पैंक्लियाज ग्रैंड) की शक्ल जामुन, नीम की पत्ती का चबा लो जिससे शुगर कम हो सकता है। करेले की सब्जी आचार जूस पी सकते हैं। इनमें एल्फा, बीटा और गामा। बीटा सेल को एक्टिवेट करने के लिए जामुन का प्रयोग करना चाहिए। या उसकी गुठली के पाउडर को छाछ का प्रयोग करें। इन्सुलिन को इनर्जी में परवर्तित करता है। इसको मड क्रोमा हाईड्रो थैरेपी से भी इलाज है। जोड़ोंं में दर्द के लिए पानी अजवाइन डालकर जोड़ों सेंकना चाहिए। शरीर में गांठ हो जाती है इसके लिए गेहूं का ज्वार के रस को पीना होगा। 92 में एक केस था। प्रोटीन डाइट-पनीर, दाल आदि. कोल्ड हिप बाथ- काली मिट्टी। कॉफी का एनिमा लगाया। ने कहा, पैथी को जानना चाहते हैं तो आपको पहले जानकारी लेनी पड़ेगी। प्राकृतिक चिकित्सा अनुसरण करेंगे तभई आप उसे अपना सकेंगे और अन्य लोगों को बता सकेंगे। हमे स्वयं इससे आश्वस्त होना होगा। मैक्सिको में एक अस्पताल में केवल जूस से ही ठीक किया जाता है। कोरोना से डरिए नहीं बल्कि सामना करिए…..एनिमा और उपवास का करिए. ताकि आप स्वस्थ रहें। इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाएं। ऑर्गेनिक आहार का सेवन करें। परिवार एक महिला नेचुरोपैथी चिकित्सक होना चाहिए।