नई दिल्ली, 09 अगस्त (हि.स.)। 20वीं शताब्दी और 21वीं शताब्दी में दो गुजरातियों ने देश और दुनिया भर में धूम मचाई है। देश की आजादी के आन्दोलन से बाद तक भी दो गुजरातियों ने इतिहास रचा है। इतिहास गवाह है कि 20वीं शताब्दी की शुरुआत से 21वीं सदी के एक भाग तक गुजराती लोगों की अहमियत रही है। खासियत यह है कि गुजराती हमेशा से ही पूरे विश्व में शीर्ष स्थान पर रहे हैं।
20वीं शताब्दी की बात की जाए तो 1920 से 1940 के दौरान दो गुजराती चर्चा में आए। वे थे महात्मा गांधी और सरदार पटेल। अब दोनों दुनिया में नहीं हैं लेकिन इनके नाम देश के इतिहास में दर्ज हैं और इन्हें किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है। आजादी से पहले जब अंग्रेजों के सामने देखने की लोगों में हिम्मत नहीं होती थी तो इन्हीं दोनों गुजरातियों की बुद्धि के आगे अंग्रेज शासक अपनी हार मान लेते थे। अंग्रेजों के शासन काल के दौरान जब इंग्लैंड से आईएएस और आईपीएस अधिकारी राज्य चलाने के लिए भारत आते थे तो उन्हें एक विशेष निर्देश दिया जाता था कि आप भारत जाएं और सब कुछ करें लेकिन गांधी और सरदार पटेल को ना बुलाना या उनकी पकड़ में न आना। ये रुवाब था इन दो गुजरातियों का। स्वतंत्रता के दौरान इन दो गणमान्य व्यक्तियों के प्रयासों से देश एकजुट हो सका और आजादी मिली। उन दोनों के पास ऐसा व्यक्तित्व था जिससे सभी को कुछ न कुछ सीखने को मिलता था। फिर भी वह अपनी मृत्यु तक एक सामान्य भारतीय नागरिक की तरह रहे।
आज फिर से एक बार ऐसा ही समय 21वीं शताब्दी में आया है। आज भी दो गुजरातियों ने न केवल देश को बल्कि दुनिया के लोगों को भी आश्चर्यचकित किया है। मतलब यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने वह काम करके दिखाया है जो काम 70 सालों तक कोई नहीं कर पाया। भारतीय मुस्लिम महिलाओं का एक ज्वलंत प्रश्न था ‘तीन तलाक’ और देश का ज्वलंत प्रश्न था ‘कश्मीर’। इन दो ज्वलंत सवालों को हल करके दोनों गुजरातियों ने लाखों भारतीयों का दिल जीत लिया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना भी इन्हीं दोनों गुजरातियों के साहस और रणनीति से सफल रहा है। इसी तरह गुजरात में इन दो गुजरातियों ने 13 साल तक शासन किया और गुजरात की स्थिति को बदल दिया। अब पांच साल से वे देश की स्थिति को बदलने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं। लोगों की जुबान पर आज केवल यही बहस है कि ये दोनों आदमी हैं या एक बिल पासिंग मशीन ! संसद में जो बिल सालों से लंबित थे, वो संसद के बजट सत्र में पास करवाकर रिकार्ड कायम किया है।
इसके अलावा गुजराती हमेशा से न केवल राजनीति में बल्कि उद्योग, शेयर बाजार, क्रिकेट, हीरा बाजार, प्रौद्योगिकी और कई अन्य क्षेत्रों में सबसे आगे रहे हैं।