राष्ट्रीय पोषण माह : बच्चों की शारीरिक विकास के लिए जरूरी है उचित पोषण
बेगूसराय, 01 सितम्बर (हि.स.)। बच्चों के पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए उचित पोषण आहार की बेहद जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय प्रयास कर रहा है कि सभी लोगों को उचित पोषण मिले तथा स्वस्थ भारत का निर्माण हो। इसके लिए पिछले वर्ष से सितंबर को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर आज एक से 30 सितंबर तक के लिए पोषण का विशेष अभियान शुरू हो गया है। पोषण माह के तहत जागरूकताा के लिए कई स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जिसमें सबसे प्रमुख है बच्चे का पोषण युक्त स्वास्थ्य। जन्म के बाद छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए। मां के दूध में मौजूद पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को ना सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं। बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते तथा पाचन क्रिया भी मजबूत करते हैं। छह माह के बाद बच्चे के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें।
मां का दूध सर्वोत्तम आहार, ठोस आहार देती है मजबूती
पोषण मिशन को गति देने में जुटे पिरामल हेल्थ के दीपक मिश्रा ने बताया कि जिले में पोषण माह में मां के दूध के साथ पोषण भरे आहार के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि छह माह के बाद शिशु को मां के दूध के अलावा ठोस और ऊपरी आहार देना शुरू कर देना चाहिए। इस दौरान शुरू किया गया बेहतर पोषण आहार शिशु को स्वस्थ, मजबूत और खुशहाल बनाता है। इस वक्त मां और अभिभावक को सावधानी से यह फैसला लेना होता है कि उन्हें अपने शिशु के लिए कैसा ठोस खाद्य पदार्थ देना शुरू करना चाहिए, जो उसके पाचन शक्ति और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखें।
मसली हुई सब्जियां और फल देकर देखें बच्चे की प्रतिक्रिया
अभियान से जुड़ी कुमारी राधा के अनुसार छह माह के बाद बच्चे को स्तनपान कराने के साथ धीरे-धीरे मसले हुए फल और सब्जियां देना शुरू करना चाहिए। बच्चा जैसे-जैसे दिलचस्पी लेना शुरू करे ठोस खाद्य पदार्थ देना शुरू करें। हर सप्ताह एक नए प्रकार का आहार देना आरंभ करें। अनाज के बाद जहां तक संभव हो बच्चे को मसली हुई सब्जियां और फल देकर देखें कि वह किस तरह की प्रतिक्रिया देता है। यदि बच्चे ने ठोस खाद्य पदार्थों पर अच्छी प्रतिक्रिया दी है तो सुनिश्चित करें कि बच्चे को विभिन्न प्रकार के ठोस खाद्य पदार्थों (मसला हुआ, नर्म या पका हुआ और सादा आहार) का स्वाद मिलता रहे। शिशु की बढ़ती शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए, मसली हुई सब्जियां और फल लगातार दिए जा सकते हैं।
क्या है बच्चे की आहार प्रणाली-
बच्चे के छह माह के होने के बाद से उसे हल्का ऊपरी आहार देना शुरू करें। शुरू में नरम खिचड़ी, दाल-चावल व हरी सब्जियां जैसे मसला हुआ आहार दें। सात से आठ माह तक के बच्चों को दो कटोरी, नौ से 11 महीने के बच्चों को तीन कटोरी और 12 से 24 माह तक के बच्चों चार-पांच कटोरी अच्छी तरह से कतरा एवं मसला हुआ आहार दें।
कैसे पता चलेगा कि बच्चा भूखा है या नहीं-
ना केवल आहार देना, बल्कि इसका पता लगाना भी बहुत जरूरी है कि बच्चा भूखा है या उसका पेट भर गया है। अधिक भूख लगने पर बच्चा रोने लगेगा। बच्चे का मुंह को खुला रखना, उंगलियों और मुट्ठी इत्यादि को चूसने से पता चलता है कि बच्चा और अधिक खाना चाहता है या भूखा है। वहीं जब बच्चा पर्याप्त खा चुका होगा तो वह अपना मुंह बंद कर लेगा या सिर दूसरी ओर कर लेगा। साथ ही पेट भर जाने पर भोजन लेने से इंकार भी करेगा।