नई दिल्ली, 04 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) के जरिए मोहर्रम को लेकर सभी जिला के आला पुलिस अधिकारियों और थाना अध्यक्षों को भेजी गई गाइडलाइन विवादों से घिर गई है। शिया समुदाय की तरफ से इस गाइडलाइन का कड़ा विरोध किया जा रहा है और इसे वापस लेने की मांग की जा रही है। शिया धर्म गुरुओं का कहना है कि इस गाइडलाइन के माध्यम से शिया समुदाय पर मोहर्रम की आड़ में हमला किया गया है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर के पूरे मामले का ब्योरा तलब किया है।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी की तरफ से 31 जुलाई को एक गाइडलाइन सभी जिलों के आला पुलिस अधिकारियों को जारी की गई है जिसमें मोहर्रम को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस गाइडलाइन में कहा गया है कि कुछ शरारती तत्व मोहर्रम के अवसर पर तबर्रा पढ़ते हैं जो खलीफाओं के खिलाफ होता है। शरारती तत्वों के जरिए आवारा पशुओं के ऊपर भी तबर्रा लिखा जाता है जिसकी वजह से शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा पैदा हो जाता है। इसलिए इस तरह की हरकतों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है।
शिया समुदाय का कहना है कि पुलिस के एक आला अधिकारी के पत्र में इस तरह की बातों का जिक्र करना शिया समुदाय की भावनाओं को आहत करता है। उनका कहना है कि पुलिस के आला अधिकारी की तरफ से शिया समुदाय पर गलत आरोप लगाया गया है जिसे वापस लिया जाना चाहिए। दिल्ली की शिया जामा मस्जिद के इमाम सैयद मोहसिन अली तकवी ने इस सम्बंध में कल एक बैठक बुलाकर उत्तर प्रदेश के डीजीपी के जरिए जारी की गई गाइडलाइन को पूरी तरह से रद्द किया है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से अगर पुलिस की तरफ से कोई गाइडलाइन जारी की जाती तो वह उसे स्वीकार करते मगर पुलिस की तरफ से शिया समुदाय पर जो हमला बोला गया है, यह एक गैर जिम्मेदाराना कार्रवाई है। उन्होंने इस गाइडलाइन को वापस लिए जाने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी इस गाइडलाइन को लेकर सफाई दी है। पुलिस का कहना है कि प्रत्येक वर्ष मोहर्रम के अवसर पर इस तरह की गाइडलाइन जारी की जाती है। इस बार भी यह गाइडलाइन जारी की गई है। मोहर्रम के अवसर पर कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए डीजीपी की तरफ से जारी की जाने वाली गाइडलाइन सभी जिला के आला अधिकारियों को भेजी जाती है ताकि वह समय रहते मोहर्रम की तैयारियों और किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने की तैयारी पूरी कर लें। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस भेजा है।
नोटिस में आयोग ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि डीजीपी के जरिए भेजी जाने वाली गोपनीय गाइडलाइन को किस तरह से सार्वजनिक किया गया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए। आयोग के उपाध्यक्ष आतिफ रशीद की तरफ से भेजे गए नोटिस में मुख्य सचिव से मोहर्रम के अवसर पर की जाने वाली तमाम तैयारियों का विवरण भी तलब किया है। आयोग का कहना है कि आने वाली 19 अगस्त को मोहर्रम मनाया जाएगा। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश में कानून और शांति व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए ताकि किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना घटित न हो।