वाशिंगटन, 08 सितंबर (हि.स.)। नासा ने भारत के चंद्रयान-2 मिशन की प्रशंसा की है। साथ ही कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रयास ने उसे अभिप्रेरित किया है। यह जानकारी रविवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
नासा ने शनिवार को ‘ट्वीट’ किया, ‘‘अंतरिक्ष जटिल है। हम चंद्रयान 2 मिशन के तहत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की इसरो की कोशिश की सराहना करते हैं। आपने अपनी यात्रा से हमें प्रेरित किया है और हम हमारी सौर प्रणाली पर मिलकर खोज करने के भविष्य के अवसरों को लेकर उत्साहित हैं।’’
पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री जेरी लेनिंगर ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की साहसिक कोशिश से मिला अनुभव भविष्य के मिशन में सहायक होगा।
लिनेंगर ने कहा, ‘‘ हमें इससे हताश नहीं होना चाहिए। भारत कुछ ऐसा करने की कोशिश कर रहा है जो बहुत ही कठिन है। लैंडर से संपर्क टूटने से पहले सब कुछ योजना के तहत था।’’
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इसरो के साथ सौर प्रणाली पर मिलकर अनुसंधान करने की इच्छा जाहिर की है।
विदित हो कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं कर सका। लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया।
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है। इसरो ने चंद्रयान-2 ऑरबिटर की मदद से विक्रम लैंडर की तस्वीर भी जारी की है जो चांद पर अभी निष्क्रिय पड़ा है, लेकिन उसे सक्रिय होने की उम्मीद नहीं छोड़ी गई है।
नासा के मुताबिक चंद्रमा की सतह पर उतरने से संबंधित केवल आधे चंद्रमा मिशनों को ही पिछले छह दशकों में सफलता मिली है।