वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार एन राम और अरुण शौरी ने याचिका वापस ली
नई दिल्ली, 13 अगस्त (हि.स.)। वकील प्रशांत भूषण, पत्रकार एन राम और अरुण शौरी ने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी)(आई) को चुनौती देनेवाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है। आज तीनों की तरफ से वकील राजीव धवन ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने तीनों को सुप्रीम कोर्ट में दोबारा ऐसी याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने संबंधित हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की छूट दे दी। इस याचिका पर पहले 10 अगस्त को सुनवाई होनी थी। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार ने इसे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष 10 अगस्त को सुनवाई के लिए लिस्ट किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नियम के मुताबिक इस याचिका को जस्टिस अरुण मिश्र की बेंच में लगना चाहिए था, क्योंकि वहां भूषण पर अवमानना केस लंबित है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार ने अपनी गलती सुधारते हुए इस याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष लिस्ट किया।
याचिका में कहा गया था कि कोर्ट के सम्मान को गिराने वाले बयान पर लगने वाली यह धारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है। याचिका में कहा गया था कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी)(आई) असंवैधानिक है और यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिका में कहा गया था कि यह धारा संविधान की धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के ट्वीट पर अवमानना के मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस मामले में प्रशांत भूषण ने एक और याचिका दायर कर कहा है कि अगर उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाता है तो उन्हें अपने पक्ष में साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका दिया जाए।
2009 के कोर्ट की अवमानना मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण का माफीनामा स्वीकार नहीं किया और मामला आगे चलाने का आदेश दिया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 17 अगस्त को सुनवाई करेगा। 2009 में प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस शुरू किया गया था। प्रशांत भूषण पर पूर्व चीफ जस्टिस एचएस कपाड़िया और केजी बालाकृष्णन के खिलाफ आरोप लगाने का मामला है।