पंचतत्व में विलीन शहीद दारोगा अश्विनी और उनकी माँ
पूर्णिया, 11अप्रैल (हि. स.) । शहीद थाना प्रभारी अश्वनी कुमार और उनकी मां उर्मिला देवी रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गये। दोनों का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव पूर्णिया जिले के पांचू मंडल टोला में किया गया । शहिद अश्वनी के पैतृक गांव जानकीनगर स्थित पांचू मंडल टोला में अंतिम दर्शन करने वाले लोगो का हुजूम उमड़ पड़ा । मौके पर पूर्णिया के आईजी सुरेश चौधरी, कमिशनर राहुल महिवाल, डीएम राहुल कुमार,एसपी दयाशंकर, किशनगंज के एसपी कुमार आशीष के साथ साथ भाजपा के एमएलसी दिलीप जयसवाल, पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि भी मौजूद रहे ।
इस बीच शहीद अश्विनी की बेटी नैंसी ने रोते हुए बताया कि उनके पिता की हत्या की गई है। गश्ती दल के किसी भी सदस्य को खरोच तक नही आई लेकिन उनके पिता कैसे मर गए । नैंसी लगातार इंसाफ की गुहार लगा रही है । नैंसी ने बताया कि उसकी दादी इस सदमे को बर्दाश्त नही कर पाई और आज सुबह वे भी मर गई । नैंसी ने सीबीआई जांच की मांग की है ।
मौके पर पहुंचे बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि, भाजपा के वरिष्ठ नेता एमएलसी दिलीप जायसवाल ने अपने ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि शहीद अश्वनी की मौत की सीबीआई जांच होनी चाहिए । एमएलसी दिलीप जायसवाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल की पुलिस और शहीद अश्वनी के साथ गश्ती पर गई पुलिस ने पीठ दिखाकर अश्विनी की हत्या करवा दी । उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसकी न सिर्फ निष्पक्ष जांच हो बल्कि एसपीडी ट्राय चलाकर हत्यारों को सख्त से सख्त सजा दी जाए । उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव में किसी कर्मी के मरने पर तीस लाख का मुआवजा देती है लेकिन कर्तव्य का पालन करते हुए कोई अधिकारी मारा जाता है तो उसे दस लाख का मुआवजा देती है । यह कैसी व्यवस्था है सरकार को सोचना चाहिए ।
पूर्णिया रेंज के आईजी सुरेश चौधरी और पूर्णिया के पुलिस कमिश्नर राहुल महिपाल ने बताया कि घटना की निष्पक्ष जांच कराई जा रही है ।इस मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और सरकारी प्रक्रिया के अनुसार 1000000 लाख की राशि शहीद के परिजन को दी जाएगी । आईजी सुरेश चौधरी ने कहा कि पूर्णिया जोन के सभी पुलिस ने अपने 1 दिन का वेतन जो लगभग 50 लाख होता है देने का निर्णय किया है । बहरहाल एक साथ घर से दो अर्थी निकलने से पूरा गांव गमगीन है लेकिन कर्तव्य पालन के साथ शहादत पाने से गांव के लोगों को फक्र भी है ।
सरकारी आश्वासन और न्याय की मांग की बात कह सरकार और सरकारी नुमाइंदे निकल पड़े है पर बड़ा सवाल है कि क्या शहिद अश्वनी के परिजन को न्याय मिल पायेगा । मामला बंगाल का है पुलिस बिहार के थे इसमें उलझ कर चली जाएगी एक जांबाज़ पुलिस अफसर के मौत की कहानी लेकिन उनके बिलखते परिवार के साथ न्याय तो होना ही चाहिए। ग्रामीण और उनके दोस्तों के साथ काम करने वाले पुलिसकर्मियों की तो इतनी मांग अवश्य है कि हम तो ड्यूटी के दौरान मारे चले जाते हैं पर एक अच्छी न्याय व्यवस्था रहे तो हमारा परिवार तो कम से कम ठीक रहेगा।