सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार शहीद जवान पिंकू का
बागपत, 29 मार्च (हि.स.)। जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों से लोहा लेते हुए शनिवार को शहीद हुए लुहारी गांव के जवान पिंकू कुमार का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह 8:30 बजे उनके पैतृक गांव पहुंचा। उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में क्षेत्रवासियों की भीड़ उमड़ी। आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
मेरठ से सेना के वाहन में तिरंगे में लपेटकर उनके पार्थिव शरीर को लाया गया। बड़ौत पहुंचने पर पहले से ही इंतजार कर रहे सैकड़ों ट्रैक्टर और बाइको के काफिले ने सेना के वाहन की अगवानी की। लोहारी गांव तक विशाल जुलूस देश भक्ति के जोशीले नारे लगाते हुए पहुंचा। इस दौरान सेना के जवानों के साथ डीएम राजकमल यादव, एसपी अभिषेक सिंह पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों का अमला भी जुलूस के साथ चला। गांव पहुंचने पर हवलदार टिंकू कुमार का पार्थिव शरीर उनके घर के आंगन में उतारा गया, जहां उनके अंतिम दर्शन को भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान शहीद की पत्नी कविता, बेटी शैली और अंजलि, पिता जबर सिंह, माता कमलेश देवी, भाई मनोज ने आंखों से बहती अश्रु धारा के साथ भारत माता के जयकारे लगाकर शहादत को नमन किया और शहीद के शव के अंतिम दर्शन किए।
अंतिम यात्रा उनके घर से शुरू हुई तो हजारों की भीड़ “जब तक सूरज चांद रहेगा पिंकू तेरा नाम रहेगा” के जयकारे बुलंद करते हुए यमुना के घाट तक पहुंची। पूरे रास्ते गली मोहल्लों की छतों से शहीद के ताबूत पर पर पुष्प वर्षा की गई यमुना के घाट पर शहीद का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
उल्लेखनीय है कि जिले के गांव लुहारी में किसान परिवार में जन्मे पिंकू कुमार 13 सितंबर, 2001 को मेरठ से सेना में भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह जम्मू-कश्मीर में हवलदार के पद पर तैनात थे। उनके बड़े भाई मनोज के अनुसार शनिवार देर रात लगभग साढ़े ग्यारह बजे जम्मू-कश्मीर से सेना के अफसर ने उनके भाई 38 वर्षीय पिंकू की शहादत की खबर दी। शोपियां में शहीद जवान पिंकू कुमार का नौ महीने का एक बेटा है और उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी आठ साल की तो छोटी बेटी पांच साल की है। उनके पिता जबर सिंह कहते हैं कि बेटे की शहादत पर उन्हें गर्व है। शहीद जवान के बड़े भाई मनोज खेती करते हैं।