नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (हि.स.)। शादी की उम्र लड़का और लड़की दोनों के लिए समान करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि हमनें राज्यों के साथ सलाह मशविरा किया है। कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी को करेगा।
पिछले 19 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, केंद्रीय विधि मंत्रालय औऱ महिला और बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर याचिका में कहा है कि युवतियों की शादी की उम्र 18 वर्ष करना भेदभाव के बराबर है। याचिका में कहा गया है कि युवक और युवतियों के दिन शादी की न्यूनतम आयु में फर्क करना हमारे पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को दर्शाता है। इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह नहीं है। यह प्रावधान युवतियों के साथ भेदभावपूर्ण है। याचिका में कहा गया है कि पुरुषों की शादी करने की उम्र 21 वर्ष है, जबकि महिलाओं की शादी करने की उम्र 18 वर्ष है या प्रावधान लैंगिक समानता और लैंगिक न्याय के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है।
याचिका में कहा गया कि यह एक सामाजिक सच्चाई है कि शादी के बाद महिला को अपने पति से कम आंका जाता है और उसमें उम्र का अंतर और भेदभाव बढ़ाता है। कम उम्र की पत्नी से उम्मीद की जाती है कि वह अपने से बड़े उम्र के पति का सम्मान करें। याचिका में युवक और युवती दोनों की शादी करने की न्यूनतम उम्र एक समान 21 वर्ष करने की मांग की गई है।