श्रीराम से जुड़े पुरावशेष संरक्षित करने के लिए जन्मभूमि परिसर में बनेगा ‘संग्रहालय’

0

अयोध्या में राम चबूतरा निर्माण के मिले थे पुरावशेष, रामकथा संग्रहालय में हैं संरक्षित अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में संरक्षित हैं 1992 की कारसेवा में मिले पुरावशेष सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एएसआई की खुदाई में मिले पुरावशेष संरक्षित हैं मानस भवन में  जन्म भूमि में मिले मंदिर के प्रमाण का संग्रहालय बना सकती है ट्रस्ट 



अयोध्या, 24 मई (हि.स.)। राम जन्मभूमि में जब-जब खुदाई हुई है तो उसमें मिले पुरावशेष वहां वर्षों पहले किसी प्राचीन मंदिर के होने के ही संकेत देते हैं। पहली बार राम जन्मभूमि में राम चबूतरा के निर्माण के लिए अधिग्रहीत परिसर में कारसेवा के दौरान की गई खुदाई में डेढ़ सौ से अधिक पुरावशेष मिले थे जो अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में रखकर संरक्षित हैं।
इन पुरावशेषों में उमा माहेश्वर की पाषाण प्रतिमा, विष्णु की पाषाण प्रतिमा, नंदी व कुबेर की पाषाण प्रतिमा के अलावा आमलक, कई प्रस्तर खंड मिले थे। दूसरी बार हाईकोर्ट के निर्देश पर एएसआई ने उस समय के विवादित स्थल की खुदाई तथ्यों को जानने के लिए की थी। जिसमें मिले पुरावशेष भी यही बता रहे थे कि कि यहां वर्षों पुराना अति प्राचीन मंदिर था जिसे विहिप के साथ सभी रामभक्त राम जन्मभूमि मंदिर बताते हैं।जेसीबी से हो रही खुदाई में मंदिर के आमलक मूर्ति युक्त पाषाण के खंभे, प्राचीन कुंआ, मंदिर के चौखट मिले हैं।
ट्रस्ट जन्मभूमि परिसर में बनायेगी संग्रहालय
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय राम जन्मभूमि परिसर को बहुत बेहतर, संरक्षित और सुरक्षित ढंग से समतलीकरण कराने में लगे हुए हैं। इस दौरान मंदिर के मिले पुरावशेष से वह भी काफी प्रसन्न हैं। उनका कहना है कि अभी समतलीकरण के दौरान और भी पुरावशेष मिलेंगे जिसे जिलाधिकारी और पुरातत्व विभाग की देखरेख में संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने ‘हिन्दु​स्थान समाचार’ से कहा कि रामजन्मभूमि परिसर में ही एक संग्रहालय बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। इस विषय का सभी ट्रस्ट सदस्यों के सम्मुख विचार के लिए रखा जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की देखरेख में विगत 11 मई से रामलला के गर्भ गृह का समतलीकरण के कार्य किया जा रहा है जिसमें प्राचीन मंदिर के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं। इसको लेकर रामनगरी के संत, धर्माचार्यों के साथ राम भक्त भी आह्लादित हैं।
कारसेवा में मिले पुरावशेष संरक्षित
अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में राम जन्मभूमि में राम चबूतरा के निर्माण के लिए 22 जुलाई 1992 से तत्कालीन केंद्र व प्रदेश सरकारों के सहयोग से विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की ओर से अधिग्रहीत परिसर में कारसेवा की गई थी। कारसेवकों ने राम जन्मभूमि पर राम चबूतरा बनाने के लिए 12 फिट खुदाई की थी जिसमें उमा माहेश्वर की पाषाण प्रतिमा, विष्णु की पाषाण प्रतिमा, नंदी व कुबेर की पाषाण प्रतिमा के अलावा आमलक, कई प्रस्तर खंड सहित डेढ़ सौ से अधिक पुरावशेष मिले थे। यह सभी पुरावशेष रामनगरी में स्थित अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय एवं आर्ट गैलरी में संरक्षित हैं। संस्कृत विभाग के संग्रहालय के उपनिदेशक योगेश कुमार ने बताया कि राम जन्मभूमि की पुरातत्व विभाग की ओर से हुई खुदाई में मिले सभी प्रमाण यहां पर भली भांति संरक्षित है। अनुमति पर कभी भी कोई राम भक्त आकर दर्शन कर सकता है।
2003 में एएसआई की खुदाई में मिले पुरावशेष जन्म भूमि के निकट ही संरक्षित
राम जन्मभूमि में दूसरी बार हाईकोर्ट के निर्देश पर एएसआई ने तथ्यों को जानने के लिए 12 मार्च से 7 अगस्त 2003 के बीच विवादित स्थल पर 82 स्थानों पर गहरी खाईयां खोदी थी। उस समय की खुदाई में टेराकोटा से बने खिलौने, गाड़ियों के पहिए, बर्तनों के टुकड़े, कांच के टुकड़े व मातृदेवियों की मूर्तियां, उकेरी गई आकृतियां जैसे कि आमलक, कलश, कपोत काली, अर्धचंद्र, गोलाकार भित्ति, स्तंभ, काली स्तरीय चट्टानों का बना हुआ अष्टकोणीय स्तंभ दंड, कमल के चिह्न, चक्राकार मंदिर के चिन्ह आदि मिले थे। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने इन सभी पुरावशेष को रामजन्मभूमि अधिग्रहित परिसर के सुरक्षित जोन में स्थित मानस भवन के कमरा नंबर 61 में संरक्षित किया है। पूर्व में राम जन्मभूमि परिसर के रिसीवर मंडलायुक्त के कार्यालय से तैनात वरिष्ठ लिपिक बीएल मौर्य ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई खुदाई में मिले सभी वस्तुओं को सुरक्षित रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पूर्व पुरातत्व विभाग की टीम समय-समय पर जांच करती रही है।

 


प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *