चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव में दो जुलाई की रात दबिश देने गयी पुलिस टीम पर हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने अधाधुंध फायरिंग कर दी थी। इस घटना में सीओ देवेन्द्र मिश्रा और थानाध्यक्ष शिवराजपुर महेश चन्द्र यादव समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गये थे। इसके बाद पुलिस और एसटीएफ की टीम विकास दुबे के गुर्गों को पकड़ना शुरु किया और पांच गुर्गों को मार गिराया। यही नहीं 10 जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय दुर्दांत विकास दुबे भी एसटीएफ की मुठभेड़ में मारा गया। घटना में बचे हत्यारोपितों की तलाश में पुलिस की छापेमारी बराबर चल रही है। विकास दुबे का शार्प शूटर और बिकरु कांड का हत्यारोपित व 50 हजार का इनामी
एनकांउटर का रहा जबरदस्त खौफ
थाना में पहुंचते ही अपनी पहचान बताते हुए उसने कहा कि मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ गुड्डन है। कानपुर कांड में मैं विकास दुबे के साथ शामिल था। मुझे पकड़ने के लिए कई जगह पुलिस रोज छापेमारी कर रही है, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं। हमने जो कृत्य किया, उसकी हमें बहुत आत्मग्लानि है। मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं। मेरी जान की रक्षा की जाए, मुझ पर रहम किया जाए। इस दौरान उमाकांत शुक्ला की बेटी ने पुलिस से हाथ जोड़कर गुजारिश की कि उसके पापा सरेंडर करने आए हैं, पुलिस उन पर रहम करे। उनका एनकांउटर न हो। पत्नी ने भी पुलिस से अपने पति की जान की रक्षा की दुहाई करती रही।