पटना, 29 अक्टूबर (हि.स)। मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन जुलूस मामले में सीआईएसएफ ने अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि 26 अक्टूबर की रात पुलिस फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हुई थी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि मुंगेर पुलिस से चूक हुई है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मुंगेर के पूर्व एसपी लिपि सिंह पर कार्रवाई हो सकती है क्योंकि घटना के बाद उन्होंने दावा किया था कि उपद्रव कर रहे लोगों की फायरिंग से युवक की मौत हुई थी।
सीआईएसएफ सूत्रों के अनुसार फायरिंग की शुरुआत मुंगेर पुलिस ने की थी जिसे पुलिस ने हवाई फायर बताया है। सीआईएसएफ के पटना स्थित ईस्ट रेंज के डीआईजी की ओर से 27 अक्टूबर को तैयार की गई यह रिपोर्ट ईस्ट जोन के आईजी और दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेजी गई है। इधर, विवाद किस वजह से हुआ, घायलों और मृतक को किसकी गोली लगी और घटना के लिए कौन जिम्मेदार है, चुनाव आयोग ने इसकी जांच मगध के डिविजनल कमिश्नर असंगबा चुबा को सौंपी है।
सीआईएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 26 अक्टूबर की रात 11 बजकर 20 मिनट पर सीआईएसएफ के 20 जवानों की टुकड़ी, मुंगेर कोतवाली थाना के कहने पर मूर्ति विसर्जन की सुरक्षा ड्यूटी के लिए जिला स्कूल स्थित कैंप से भेजी गई। राज्य पुलिस ने इन 20 जवानों को 10-10 के दो ग्रुप में बांट दिया। इनमें से एक ग्रुप को एसएसबी और बिहार पुलिस के जवानों के साथ दीनदयाल उपाध्याय चौक पर तैनात किया गया। रात के करीब 11 बजकर 45 मिनट पर विसर्जन यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं और लोकल पुलिस के बीच विवाद शुरू हुआ। इसकी वजह से कुछ श्रद्धालुओं ने पुलिस और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मामला गंभीर होने पर मुंगेर पुलिस की ओर से स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए सबसे पहले हवाई फायरिंग की गई। इसके कारण ही श्रद्धालु ज्यादा उग्र हो गए और पत्थरबाजी शुरू हो गई। रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल एम गंगैया ने अपनी इंसास राइफल से 5.56 एमएम की 13 गोलियां हवा में फायर कीं। इसी की वजह से उग्र भीड़ तितर-बितर हुई। इसके बाद पुलिस के जवान अपने-अपने कैंप में सुरक्षित लौट सके।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को फिर मुंगेर में हिंसा भड़कने के बाद चुनाव आयोग ने वहां के डीएम राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह को तत्काल प्रभाव से हटा दिया और उनकी जगह पर रचना पाटिल को डीएम और मानवजीत सिंह ढिल्लों को एसपी बनाया गया है। साथ ही दो थाना प्रभारियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है। दरअसल, मुंगेर में तीन दिन पहले 26 अक्तूबर को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दौरान उपद्रव की घटना हुई थी। इस घटना में गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हो गए थे।
इस घटना के दो दिन बाद गुरुवार को फिर से शहर में हिंसा भड़क गई। युवाओं ने जमकर बवाल किया।आक्रोशित भीड़ ने कई पुलिस थानों को निशाना बनाते हुए पत्थरबाजी की। बासुदेवपुर पुलिस चौकी में आग लगा दी। नारेबाजी करते हुए एसपी लिपि सिंह के दफ्तर को भी निशाना बनाया। पुलिस कार्यालय के आगे लगे बोर्ड को भी उखाड़ फेंका। एसपी कार्यालय और एसडीओ आवास में तोड़फोड़ की। इस दौरान लोगों ने कई गाड़ियों में आग भी लगा दी और थाने पर पथराव किया। युवाओं की टोली शहर में प्रदर्शन करते हुए पूरबसराय ओपी पहुंची। वहां ओपी के सामने खड़ी पुलिस की जीप फूंक डाली। इसके बाद बड़ी संख्या में पुलिस के पहुंचने के बाद प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण पाया जा सका।