दिल्ली तलब किए गए कैलाश, मुकुल व दिलीप, विधानसभा चुनाव की बनेगी रणनीति
कोलकाता, 15 जनवरी (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और बंगाल प्रभारी तथा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को केंद्रीय नेतृत्व ने रणनीति बनाने के लिए दिल्ली तलब किया है।
दरअसल पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव इसबार थोड़ा पहले हो सकता है। केंद्रीय चुनाव उपायुक्त सुदीप जैन ने एकदिन पहले ही राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर इस बात के संकेत दिए हैं कि इस बार फरवरी के मध्य में ही विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाएगी और अप्रैल महीने के अंत तक मतगणना की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। यानी मई से पहले ही नई सरकार का गठन हो सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से राज्य में लगातार मजबूत होती जा रही भाजपा इसबार सरकार बनाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। ममता बनर्जी की पार्टी के नेता, मंत्री, विधायक, सांसद भाजपा का दामन लगातार थाम रहे हैं जो इस बात का संकेत है कि इसबार परिवर्तन हो सकता है। इसे समझते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में सत्ता हासिल करने की अचूक रणनीति बनाने के लिए प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेताओं को दिल्ली तलब किया है। भाजपा सूत्रों ने बताया है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अथवा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा इन नेताओं के साथ सांगठनिक बैठक कर सकते हैं। इसमें बंगाल में पार्टी की मौजूदा स्थिति और संभावित खामियों के बारे में बातचीत की जाएगी।
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13 केंद्रीय नेताओं की रिपोर्ट पर भी चर्चा
खास बात यह है कि अमित शाह के निर्देश पर पश्चिम बंगाल में 13 केंद्रीय नेताओं को जमीनी तौर पर सर्वे करने और बंगाल में संगठन की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी शामिल हैं। जिन केंद्रीय नेताओं को बंगाल में प्रभार सौंपा गया है वे सारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बैकग्राउंड के हैं। यानी वे न केवल बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं बल्कि संघ और अन्य सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर जमीनी तौर पर बंगाल के आमलोगों के बीच पार्टी की स्वीकार्यता सुनिश्चित कर रहे हैं। बंगाल की जमीनी हकीकत यह है कि भले ही तृणमूल कांग्रेस सरकार में है लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच जैसे संगठनों से न केवल तृणमूल बल्कि कांग्रेस और माकपा से जुड़े लोग भी जमीनी स्तर पर निष्ठा के साथ जुड़े हुए हैं। जाहिर सी बात है कि अगर इसबार परिवर्तन की पटकथा लिखी जाएगी तो इसमें संघ की भूमिका बड़ी होगी। इसलिए मौजूदा स्थिति के बारे में भी दिल्ली में विस्तार से चर्चा होगी।
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नागरिकता अधिनियम के क्रियान्वयन पर बनेगी रणनीति
भाजपा सूत्रों ने बताया है कि आगामी 30 तारीख को नदिया जिले के ठाकुरनगर बांग्लादेश के शरणार्थी “मतुआ” समुदाय के बीच जनसभा करेंगे। यहां से भाजपा के सांसद शांतनु ठाकुर कुछ दिनों से नाराज चल रहे थे क्योंकि नागरिकता अधिनियम पारित हो जाने के बावजूद इस समुदाय को अभीतक नागरिकता नहीं मिली है। मतुआ समुदाय राज्य की 65 से 70 विधानसभा सीटों पर राजनीतिक वर्चस्व रखता है। मतुआ समुदाय के लोग मतदान तो करते हैं लेकिन स्थाई नागरिक नहीं हैं। शांतनु ठाकुर की नाराजगी इसी शर्त पर दूर की गई थी कि अमित शाह अपने दौरे के दौरान इस समुदाय की नागरिकता के बारे में घोषणा करेंगे। खबर है कि दिल्ली में विजयवर्गीय, दिलीप और मुकुल रॉय के साथ बैठक कर इस बात की भी रणनीति बनाई जाएगी कि बंगाल में नागरिकता अधिनियम लागू करने और इस समुदाय को नागरिकता देने के बारे में किस तरह से क्रियात्मक कदम उठाया जाए।